अनकहे अल्फ़ाज़ों की हकीकत को समझना भी जरूरी है
बिन बोले भी निगाहें हजारों सवाल छोड़ जाती हैं...❣️-
बदलाव की प्रकृति हमें सही या गलत नही बनाती है
बल्कि उस... read more
कल तक तेरे दर्द से अंजान थी सारी दुनिया
जो आज तूने दवा चुन ली तो सभी सलाहें देते फिर रहे....-
उसने पूछा..
बड़े बेगैरत अदब-ए-अंदाज से
हो कौन
तुम...?
हम भी बोले..
बड़े सुकून-ए-इत्मिनान से
बस वही
'शहर'
जिसे 'वो' अब जानता नहीं?-
चलता था हर कदम
हाथ थामे उसका
क्या
पता था
इक दिन खुद ही संभलना
मुश्किल हो जाएगा..!
सोचा था मिले हर खुशी
इस जहान की उसको
क्या
पता था
हम ही हर खुशी के
पहरेदार हो जाएंगे....!
हजारों ख्वाब बुन बैठा था
कांधे पर सर रख उसके
क्या
पता था
एक दिन वो सारे ख्वाब
याद बन जाएंगे...! ©-
बहुत गुरुर था
मुझे खुद के होने पर
पर शायद
ये भूल बैठा था...
मैं न होता
तो क्या होता
बस इतना न
कोई और होता...-
मुमकिन है चाहत में
दुस्वारियाँ बहुत झेली होंगी
फिर यकीं कैसे कि
कोई अकेला दूर जा रहा...-
खामखां कोई शख़्स राब्ता नहीं रखता
मतलबी दुनियाँ लबों पर मुस्कान लिए फिरती है..💘-
दिल की सच्चाई जानना है तो सब्र करो उस पल तक
जब तलक अश्क 'बेवजह' गालों को चूमते न दिखे...-
तुझ पर पड़ी रोशनी तेरे 'अक्स' को बड़ा बनाती है...
ये निर्भर तुझपे कि तू चुनता अंधेरा या उजाला है....!!-
ठहर जाता हूँ मैं
हर बार
और मुझे लगता है
सारी 'दुनियां' ठहर गई..
भ्रम था मेरा जो एक
अरसे से
ठहरा तो मैं था
वो तो हरपल चले जा रही..-