कट्टरता ही दिखानी है
तो मानवतावादी के प्रति दिखाओ,
इन्हें जोड़ो...
वरना,
जाति-पाती और धर्म के नाम पर
तो लोग पहले से ही टुकड़ों में है ।।-
ना हिन्दु बनो न ईसाई न सिक्ख न मुसलमान बनो
मानवता की मूरत बनो हे शख्स सच्चा इंसान बनो-
जिस ने अकारण
किसी मनुष्य की हत्या की
उसने समस्त मानव-जाति
का संहार किया -
जिस ने एक भी
मनुष्य को बचाया
उस ने समस्त मानव-जाति
को बचाया -
(क़ुरआन-सूरह-मायेदा-32)-
शमशान जाते ही मिट गए सब छुआछूत,
पास-पास ही जल रहे थे,
ब्राह्मण,शूद्र, वैश्य और राजपूत।-
मानवता मनुष्य का सच्चा आभूषण
और चारित्रिक दर्पण है।
मानवता का हास्र मनुष्य के पतन का
आधार होता है।-
मैनें हर मजहब का
अरदास पुजा प्रार्थना
नमाज व इफ्तार किया
इंसा का नूर हूॅ
हर आदमी से बस प्यार किया
बस आदमी सें प्यार किया
चमन में अमन सलामत हो
सभीमुल्कों में सदा जो
मानवतावाद के लिए जीवन जीया-
संघर्ष जाती या धर्म को लेकर नहीं होता, प्रत्युत अंहकार से पैदा होने वाले स्वार्थ और अभिमान को लेकर होता है ।
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हालात नाजुक है, इसका यक़ीन मुझे भी है,
दिलों में प्यार भी है, इसका यक़ीन मुझे भी है,
आरोपों के इस दौर में वो शख्स बेगुनाह है,
उसकी बातों पर यक़ीन मुझे भी है,
वो बेबस,लाचार,ख़ामोश सब कुछ सहता रहा,
उस के इस ख़ामोशी पर हैरानी मुझे भी है,
शायद वो भूखा होगा, इसलिए खाने की चोरी की,
वरना वो मेहनतकश मजदूर है, ये यक़ीन मुझे भी है,
माना कि खाने का उसका रास्ता गलत था,
पर भूख कुछ भी करवाती है, इसका यक़ीन मुझे भी है।-
"मानव एक जाति उसका मजहब मानवता है बाकी सब राजनीतिक रोटी सेकने के लिए बने है।"
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मानव सेवा और मानवता का श्रेष्ठ भाव,
सभी धर्मों में श्रेष्ठतर-परम धर्म होता है।-