Sudhanshu Tiwari   (सुधांशु तिवारी)
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सुधांशु तिवारी
Joined 7 August 2018


सुधांशु तिवारी
Joined 7 August 2018
5 AUG 2024 AT 21:20

नज़रे मिलना, मुस्कुराना, उनकी गलियों का चक्कर काटना,गुफ्तगू, इज़हार-ए- मुहब्बत,
क्या और भी बाक़ी ख़ता है, सज़ा - ए- जिंदगी के लिए?

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31 MAY 2024 AT 20:36

हजारों टिमटिमाते उम्मीदों के चिराग की लपट से खुद आशियाना मेरा जला है,
सफ़र के जिंदगी में अक्सर, रास्तों ने मुझे छला है,
मुस्कुराहट, ठिठोली, हंसी मजाक से, यूं ही दिल मेरा जला है,
शहर बारिस में भीगकर खुशनुमा हो गया, मेरे ऊपर रही बस धूप, यूं बारिस ने मुझे ठगा है,
शामिल-ए-सफ़र जो थे, वो भी किनारे हो गए कुछ ऐसा पता चला है।

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13 APR 2023 AT 23:35

मृगमरीचिका

वक्त दर वक्त, पहर दर पहर विचारो की विभीषिका
ख़ुद को ख़ुद से दूर किये,स्वर्णिम स्वप्न की स्तूपिका,
अंनत उन्मत्त अंतस्तल वैचारिक जलधर में,
जीवन के चिराग के तले की कृष्णिका..
वैचारिक मृगमरीचिका

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14 MAR 2023 AT 16:13

अभी खामोश बैठा हूं, दिल में तूफान समेटे,
अब हुनर सीख रहा हूं, तेरे बिन खुद से कैसे भेटें,
तू था तो दिल में जज्बातों का सुकून था,
मंजिलों को ढूंढ लेंगे साहिल पर खुद ऊपर पर यक़ी था,
तेरी बेरुखी के इस भवन में, आशियाना ढूंढता हूं ,
अभी खामोश बैठा हूं दिल में तूफान समेटे ,
अब हुनर सीख रहा हूं तेरे बिन खुद से कैसे भेटें।

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17 FEB 2023 AT 0:21

उम्मीद का चिराग लेकर, ख़्वाबों की रोशनी में,
खोजता हूँ अपनों को, अपनों से भरी इस जिंदगी में,
कभी कुछ सोचता, कुछ समझता, मुस्कुराता,
कभी ख़ामोश से बैठा बस अपनी शहर में,
इस जहाँ की गुलजार गलियों में, अब तो काटने को दौड़ती है ये तन्हाई,
कई अपने है मगर अब जानलेवा ये तन्हाई,
बहुत कुछ सोचता दिन के घुप अंधेरे में..
उम्मीद का चिराग लेकर......

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17 FEB 2023 AT 0:11

क़सम बनती है, टूटने को,
बहार आती है, सूखने को,
शमा जलती है, बुझने को,
सूरज उगता है, डूबने को,
कोई खूबसूरत ख़्वाब न देखे दोस्तों, क्योंकि,
ख़्वाब आते हैं टूटने को..

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8 FEB 2023 AT 15:19

इस दुनिया में कश्मकश कम है क्या
कि उलझी लटो को,यूँ तुमने बिखेर है!
गुलाबों की महक कम थी क्या,
जो तेरी खुशबू ने तब मन भिगोया है।
मुसाफिर हम भी थे ख्वाबों के जहां के,
तेरी यादों ने मुझको फिर डुबोया है।
चहक उठता है मन का भौरा, जब भी तुमको देखा है,
तेरे सज़दे में चाहत को बिखेर है।। इस दुनिया....

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1 DEC 2022 AT 5:02

हम इनके लिए चाँद तारे ला दें
पर उनको हमपर ऐतबार तो हो,
दुनियां क्या पूरी ख़ुदाई छोड़ दे उनके लिए,
पर उनको इसका ऐतवार तो हो,
ज़िगर की लहू से उन्हें होंठो को सज़ा दे,
बस उनपर मेरा अख्तियार तो हो।

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10 OCT 2022 AT 15:40

देर रात तक फोन पर बात करते को प्यार कहते हो तो तुम गलत हो,
क्यों कि अकेले बस में भी लोग टाइम पास के लिए बगल वाले से बात कर लेते हैं।
व्हाट्सअप पर DP, इंस्टा स्टेटस देख कर प्यार समझते हो, तो तुम गलत हो,
प्यार हजारों फिल्टरों में नही होता।
प्यार तो खूबसूरत अंदाज़ है,जो पल भर में हो जाय ,
तो कभी सदियों में नहीं होता।

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10 OCT 2022 AT 15:32

उफ़, क्या कशमकश है जिंदगी का,
कभी ग़म तो कभी ख़ुशी का,
कभी जीत कभी हार का,
कभी गुस्सा तो कभी प्यार का।
तेरे इंतजार का, दिल बेकरार का,
तेरे दीदार का, उफ़! तेरे नज़रअंदाज़ का
तुझे अपना सब कुछ मान लेने का,
और तेरा कुछ दूर साथ चल कर हाथ छोड़ने का,
ये काशमश जिंदगी का..

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