●एक कड़वा सन्देश●
ऐसा वक़्त आए जब तुम्हारे सारे अपने
तुम्हें छोड़ दें, तो आखरी व्यक्ति को तुम छोड़ दो, क्योंकि वो तुम्हारे लिए उस मुश्किल घड़ी को और भी मुश्किल बनाएगा, और तुम्हारे मंज़िल तक पहुंचने में काम आने के बजाए बाधा उतपन्न करेगा,
क्योंकि जो शक्ति तुम्हें उस मुश्किल घड़ी से निकलने में लगानी है वो लगाने नहीं देगा, ऐसे मुश्किल तरीन स्थिती में पूर्णतः तन्हा हो जाओ, और पूरी शक्ति लगा दो, क्योंकि तभी पूरी शक्ति लगाने के लिए आप हर तरह से स्वतंत्र होंगे, जब अकेला होंगे।।-
दफ़अतन छोड़ दी उस ने ही अश्क मुझ से गुफ़्तगू करना
वरना हमने तो साथ मरने और जीने की वसीयत की थी-
हम ने माना के मेरे हाथों के लकीरों में
अश्क नहीं था कुछ भी
फिर वो दो पल को सही मेरी कहानी में
तेरा आना क्या था ।।-
रहमो-करम की ज़िंदगी रहमो-करम की लगती है
वो लगती है ज़िन्दगी की तरह पर भ्रम की लगती है-
जिस तरह एक भी पल "अश्क" काटे न बने
महीने साल भी उस तरह से काटे हैं हमने
दर ब दर मांगते फिरे हैं हम थोड़ी सी ख़ुशी
अपने हिस्से की सारी खुशियों को बांटे हैं हमने-
ख़ुदकुशी ज़िंदगी का हल ही नहीं
ज़िंदगी ख़ुदकुशी से कम है क्या
कोई हो कर भी आपका न रहे
इस से बढ़कर भी कोई ग़म है क्या-
खुदा ने दहर के आगोश में पाला है मुझे
बहुत गिरा हूँ मगर फिर से संभाला है मुझे
जिन्हें पाला था हमने अपनी ज़िंदगी की तरह
बड़े बे आबरू से घर से निकाला है मुझे-
मुझको मालूम है दुनियाँ की हक़ीक़त ऐ दोस्त
जो ख़ाली जेब हो जाए कोई अपना नहीं रहता-
मेरे एहसासों में चुभ जाते हैं कुछ तीर पुराने
याद आते हैं जब गुज़रे हुए सख्त ज़माने-
ज़िन्दगी कितने तजुर्बों से मिलायेगा मुझे
मौत को और कितनी बार दिखायेगा मुझे
जानता हूँ तुम्हारे पास हंसी कम ही रहती है
मगर इस तरह कितनी बार रुलाएगा मुझे-