महत्वकांक्षा ..... !!
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महान व्यक्ति महत्वकांक्षा के प्रेम
से बहुत अधिक आकर्षित होते है..!!-
#"इश्क़ करने की हाय
कैसी सज़ा पाई है
सूख सा गया है तन
पत्तियां मुरझाई है!
न काँटे बचे न सुगन्ध
अब तो तेरा हाल भी
कोई नही पूछ रहा है,
खरीदा था जिसे महकाने
किसी और की जिंदगी को
आज वो ख़ुद अपनी
जिंदगी की जंग लड़ रहा है
ख़ैर तू तो सूख चुका..
महत्व ही नही रहा तेरा
अब तो..!
चिंतित न हो ए सूखे गुलाब
तुझे रोप कर धरा में
नीर से सिंचित कर
एक नया आकार देने आयेगा
फिर कोई प्रेमपथिक !!!"¥-
जिंदगी के circuit में जब,
महत्वकांक्षाओं के,
over current बहे, तब,
अपेक्षाओं के over load तले,
जो जाएँ दब,
Anxiety के Fuse का,
उड़ना ही बेहतर, तब!
क्योंकि क्षणिक black out तो,
बचाव का ही है सबब!
पर जो कहीं, Fire लग गई,
तो सब हो जाएगा बेमतलब !!-
मर रही है,
कि 'जी' रही है
उलझी सी वो स्त्री
शायद ,
मेहनत के धागों से
फिर....
महत्वकाँक्षा कोई
'सी' रहीं है ।
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तुम इस भीड़ में मेरे साथी बनोगे क्या?
तुम महफ़िल में हाथ पकड़ोगे क्या?
लोगों की ना सुनकर दुनिया से लड़ोगे क्या?
मेरी महत्वकांक्षाओं पर खरे उतरोगे क्या?
अरे छोड़ो भी तुम तो मेरी सुनोगे भी क्या !-
दशक को अलविदा
ये डायरी के पन्नों की तरह है... साथ ही बात को संपूर्णता में पकड़ने की कोशिश में बहुत बड़ा हो गया है... जरूरी नहीं कि आप पढ़ें... जरूरी नहीं कि एक बार पढ़ना शुरू करें तो पूरा ही करें... लेकिन अगर कर गुजरें ऐसा कुछ तो अपनी बात अवश्य रखें...😅
दशक का लेखा-जोखा है ये?... बिल्कुल वैसा नहीं, लेकिन कुछ-कुछ वैसा ही... मुख्यतः, ईगो और ऑल्टर ईगो की बातचीत है ये.... वैसे तो डायरी में ही रहना चाहिए इसे, लेकिन एक तरह से स्वयं से एक वादा है जो याद दिलाता रहेगा, नई शुरुआत करने को... पास्ट के बैगेज से मुक्त होने को।
(इधर पोस्ट कर रहा हूँ...क्योंकि और किसी प्लेटफॉर्म पर पोस्ट करने का साहस नहीं है.. और इच्छा/जरूरत भी..)
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