वो ही मरियम है, यशोदा है, आमना है वो,
उसका रुतबा बड़ा आला है क्योंकि माँ है वो।-
हुए कुमारी कुंती के ज्यों वीर कर्ण दानी मानी;
माँ मरियम के ईश हुए त्यों धर्मरूप वर बलिदानी-
दर्द होना भी निशानी है।
अभी जीनी मुझें और ज़िंदगानी हैं।
टूट कर बिखरना और सिमट जाना।
ये शायद हर दिल की कहानी हैं।
मरियम तुम ही कहो हाल अपना
या सुनना तुम्हें औरों की ज़ुबानी हैं।
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समंदर की प्यास बुझाने की बात करती है
यार तू भी अब मज़ाक करती है
चल छोड़
मुझे अब उम्रदराज़ का होने दे मरियम
सुना है कि लड़कियां बर्बाद करती है..-
कोटि-कोटि नमन हर स्त्रियाँ को
जिसने अथाह दर्द और तृष्णा सहकर
सृजन करती है जननी को।।-
जो सब कुछ जानकर अनजान है।
उसकी कोख में पल रहा यदि शैतान है,
उसको भी कराती स्तनपान है।।-
वो ही इश्क़ है, मोहब्बत है, ख़ुदा सा है वो,
उसकी ख़ुशबू रूहानी है, क्योंकि माँ है वो।-
दर्द लाख सही फिर भी मुस्कुराएंगे
तुमसे न कहेंगे ख़ुद पर ही सह जायेंगे।
दिल लगाया है तुमनें मुझसे
अब ये न किसी से बताएंगे।
मेरे आँसू मेरे है ये तुमसे क्या
ये सवाल अब न दुहराएंगे।
इश्क़ में नाक़ाम हैं हम मरे नही।
फिर से मोह्हबत आजमाएंगे।
मरियम तुम ही नही हो ज़हनसिब जहां में।
कोई तो होगा जो तुमसे ही दिल लगाएंगे।
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वो मरियम मेरे नसीब में भी है कि या नहीं;
जिसको भी मैंने चाहा, मैं उसका हुआ नहीं...
अब वक्त के ही हाथ में गुलाम हो गया,
चाहा था उसने भी मगर उसका हुआ नहीं...
ये और बात है कि वो ज़वाब भी न दे;
अब रात भर की बात हो ऐसा हुआ नहीं...
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