लगता है वो तब आयेगा
जब बिखर जाओगे तुम,
कोई गुन्जायिश नहीं होगी
संवारने की तुमको...
और जिस दिन उसके आने से
कोई फर्क नहीं पड़ेगा तुमको
उस दिन तुम समझोगे कि कोई
मतलब नहीं था आने का उसके...
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7th March 2018
My Birthday on paper 5 Oct 2000
But actual birth day,... read more
एक डूबते हुए नौके का
सवार बनना था
कहते हैं उसको
होनहार बनना था।।
सुनता था गाने, शराब पीता था
कहते हैं जीना जिसको वैसे वो जीता था...
कहता था हीरो हूं मैं!
मोहब्बत करूंगा।
मारना ही होगा तो वैसे मरूंगा...
जैसे वो रांझा मरा, मजनूं जैसे देवदास;
वैसे ही मोहब्बत में मर जाएगा अरदास!-
सबको न मिलता ऐसे, मुझको है जैसे तू मिला
तेरा रहा न अब मैं, मुझमें भी अब न तू रहा
वादा करो अब न कुछ, जैसे था पहले सब रहा
वैसे ही रहने दो न, मांगो न मेरा क्या बचा...
अब न तन्हाई भी है, बेवफ़ा हो मैंने कब कहा
दिन भर भटकता हूं मैं, राते भी रहती हैं ख़फ़ा
बेवफ़ा;
मै ही बन बैठा हूं अब, उसको तो कुछ भी न हुआ
दुश्मन जमाना न है, मेरा तो अब मैं खुद हुआ।।
सबको न मिलता ऐसे मुझको है जैसे तू मिला...
जाना ये झूठे हैं सब, तेरा एक साथी मैं तो था
अब न जमाना है ये, मेरा फ़साना भी कहा
अब रहा...
सबको न मिलता ऐसे मुझको है जैसे तू मिला...
तेरा रहा न अब मैं, मुझ में भी अब न तू रहा...
तेरा एक आना वो था, एक तेरा जाना मै लिखा...
कोई बहाना न है, ये भी तो उसने था लिखा...
रोना भी लिखना है या, इसको मिटाना तू बता...
एक तेरा आना वो था, एक तेरा जाना तू बता...
गर आजमाना ही था
पहले बताना ही था...
मै तो था तेरा रीति का
रीति का!
कोई बहाना न है
ये भी तो उसने था लिखा...
हां लिखा...-
मैं क्या ही लिखूं जो हुआ भी नहीं था
कभी उसके दिल को छुआ ही नहीं था;
मोहब्बत का चेहरा भी ऐसा ही होगा
वो क़ातिल सही, तेरे जैसा ही होगा...-
यहां कोई नहीं ऐसा, मुझे आबाद जो कर दे
मोहब्बत में पड़ा हूं मैं, मुझे बर्बाद आ कर दे
मुझे दिखता नहीं कोई, यहां अपना नहीं कोई
यहां मै ढूंढता खुद को, मेरा कोई पता न दे
मोहब्बत में पड़ा हूं मैं, कोई बर्बाद ही कर दे...
न पारो, न ही अर्सी है; न कोई उसके जैसी है
खुदा थोड़ी रहम करना, मुझे अरदास अब कर दे!
कहीं कोई नहीं ऐसा, मुझे आबाद जो कर दे।
मोहब्बत में पड़ा हूं मैं, मुझे बर्बाद अब कर दे।।-
लगना चाहिए न कि दिल टूट रहा है
कोई था अपना जो कि छूट रहा है...
बेजार-ए-मोहब्बत का असर ऐसा हो
लगना तो चाहिए कि कोई रूठ रहा है;
ख़ुदा को मनाया इस बात के लिए, अब
तो आखिरी पत्ता भी पेड़ का टूट रहा है...
किसी को रुकना होता तो रुक जाता
अरदास का था टूटना, सो टूट रहा है...
और अब कितनी बातों कि शिकायत करूं
सब कुछ था टूटना, तो ये भी टूट रहा है ।।-
उसने मुझे और मैने किसी और को चाहा;
किसी को मै, कोई मुझे न मिला अरदास!-
मोहब्बत में तो चाहा था कि, गुलिस्तान बन जाओ।
चलो तुमको जो लड़ना हो तो पाकिस्तान बन जाओ।।-
अब तो किसी का दिल दुखाना बुरा नहीं लगता,
जब से सीखा है हुनर दिल का तोड़ना तुम से!
लाख चाहा कि मुक्कमल हो जाता हमारा रिश्ता
कितना नाज़ुक रहा है दिल का जोड़ना तुम से!
बात करने का अदब मिल गया जमाने से,
बात करूंगा तो चाहूंगा; जोड़ना फिर से!
गर जाओगे तो किस बात की मेरी बातें...२
इकरार करना कि दिल का तोड़ना फिर से।-
माना कि थोड़े झूठे से, माना कि कुछ तो सच्चे थे;
पर सच कहता हूं जैसे थे तुम, इन लोगों से अच्छे थे.-