भैया और भाभी
भाभी आप खुशियों की सौग़ात तो भैया संघर्ष की कहानी हैं।
भैया राम सा तो आप उनकी सीता सी दीवानी है।
भैया थोड़े से नटखट तो भाभी आप भी थोड़ी नादानी है।
भैया अपने बातो से हँसी ला देते है पर भाभी आपकी भी बाते बचकानी है।
उनके चेहरे पे सिकन हो तो लगता है आपकी कोई परेशानी है।
भैया राजा है अपने सल्तनत का तो आप उनकी महारानी है।
हर रिश्ते को भाभी निभाती है तो भैया आपको भी निभानी है।
और मुश्किलों के हर कदम पे आप एक दूसरे को अपनी मौजूदगी जतानी है।
आप अनजाना रहस्य तो भैया भी एक उलझी हुई कहानी हैं।
आप दोनों बस एक दूसरे को सुलझा लो बस इतनी सी चाहिये मेहरबानी है।
दुआ है कि आपका हर साल ख़ुशहाल हो क्यो की बुढ़ापे में सुनाने के लिए कुछ यादे बनानी है।
और भविष्य के प्रत्येक पन्ने खुबसूरत हो आपके क्यो की सुनहरे रंगों से भर कर रचनी एक सुंदर जिंदगानी है।-
अनुराग की हुई सपना
और खिल गया उपवन,!
उसके आने से संग
सार्थक हुआ जीवन,,!!
परिवार को वो हमेशा
देती है अपनापन,!
विवाह दिवस उत्सव है आया
संवर जाए आज आंगन,,!!
शादी की दसवीं सालगिरह
की हार्दिक शुभकामनाएं
भैया भाभी,,!!-
चलो एक और वादा कर लो
वक्त और हालात को
फिर से आधा कर लो
मजबूत हो हर पल
ये बंधन आपका
इस वर्षगांठ पर
एक कदम और साझा कर लो
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चलते रहो तुम संग संग,
संग चलती रहे बहारें!
कभी ना हो गमों की आंधी,
खुशियां तुम्हारी बाट निहारें!
तुलसी की डाली अंगना में जैसे,
खुशबू से महकता आंगन हो वैसे!
हर वक्त उन में रमते रहो तुम,
हर वक्त चमकते रहे तुम्हारे सितारे!-
मांग की लाली और
हाथों की चूड़ियां खनकती रहें,,
चेहरे की मुस्कान से
शिद्दत वाली मोहब्बत झलकती रहें,
तम्मना थी जिसकी वो
यूंही चले उम्र भर साथ और,
हर लम्हें पर प्रेम से भरी
अमृत प्याली छलकती रहें,,!!
शादी की ग्यारहवीं
सालगिरह की ढेरों बधाईयां
❤️बड़े भैया और बड़ी भाभी❤️,,!!-
प्रेम और विश्वास,
बना रहे हरदम,
सामंजस्य और सहभागिता,
तनिक भी न हो कम,
हर ओर खुशियां ही खुशियां बिखरे,
जीवन में न आए कोई गम,
ज्योतिर्मय हो लक्ष्य आपका,
पथ में शेष न रह जाए तम,
फले फुले कुटुंबा आपका,
हो मधुर आपकी भावनाएं,
वैवाहिक वर्षगांठ की,
बहुत-बहुत शुभकामनाएं ।।
🙏🙏🙏🙏🙏-
बचपन की एक आस पुरानी, जिसे सोच दुखी मै रहता था।
काश! मेरे भी होते "बड़े-भैया", ऐसा हरदम सोचा करता था।
जीवन की मोड़ में माता-पिता व, छोटी बहन का साथ मिला।
लेकिन कंधो पर रखने वाला, बड़े भैया का हाथ न मिला।
वर्तमान का यह ठठ जीवन, जहाँ अपने भी पराये हो जाते है।
प्रेम और एकता का स्वरुप भाइयो में, विरले ही देखे जाते है।
मृग स्वरूप यह आयुष्य मेरा, यूँ ही वन-वन भटके फिरता था।
कस्तूरी स्वरूप भैया हमारे, निकट रहते हुए नही दिखता था।
राम को जैसे मिले थे लक्षमण, बलराम को कृष्ण कन्हइया।
आखिरकार इस जन्म में मुझको, मिल गए प्यारे बड़े भैया।
विश्वास हरदम बना रहे दोनों में, और रहे प्रभु में आस्था।
फिर आन पड़ी कैसी भी मुश्किल, निकाल लेंगे हम राश्ता।
भैया संग मिली भाभी मुझको, क्या लिखू उनके प्रति मेरी अभिलाषा।
जिससे मिले हँसी,ठिठोली व अपनापन, यह है भाभी की परिभाषा।
सम्भाले सबको भैया की परछाई बन, रहे घर आँगन खिला खिला।
सौभाग्यवान ना मुझसा कोई, जिसको भैया-भाभी का प्यार मिला।-