Adarsh Kumar singh ✍🏻   (आदर्श✍)
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कैसे हुआ मेरे ज़िंदगी मे उसका दख़ल लिखता हूँ,
मैं अक्सर आईने को देख कर ग़ज़ल लिखता हूँ...
Joined 1 April 2020


कैसे हुआ मेरे ज़िंदगी मे उसका दख़ल लिखता हूँ,
मैं अक्सर आईने को देख कर ग़ज़ल लिखता हूँ...
Joined 1 April 2020
22 JUN 2024 AT 23:03

ओए सुनो ,बला कि ख़ूबसूरत अप्सरा

ज़रा पलकें उठाओ तुम

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17 SEP 2023 AT 8:13

अंधेरी रात को जब, न कोई हो उजाला

अधेरा ही अंधेरा ,है बाहर और मुझ में

कोई जुगुनू कही से, चीर कर अधेंरा

आकर पास बैठा

जैसे तुम

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29 AUG 2023 AT 23:35

नई उम्रों की ख़ुदमुख़्तारियों को कौन समझाये
कहाँ से बच के चलना है कहाँ जाना ज़रूरी है

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19 MAR 2022 AT 0:30

जब रिस्तों में बाते कम वादा ज्यादा होता है
तो बाते छूट जाती है पीछे
साथ मे बच जाता है सिर्फ वादा
जो लंबे अरसे तक इंतेज़ार करता है बात का
और आखिर में,
भूख से तिलमिलाकर कर खा जाता है रिस्ता

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5 JUN 2021 AT 19:05

डायरी

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29 JUN 2020 AT 14:26

हमी से हम होंगे और ,
हम से ही मुझे सहारा होगा
अगर डूबना लिखा ही है क़िस्मत में तो सुनो,
उसे से पहले समंदर हमारा होगा...

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19 AUG 2021 AT 9:38

किसी को जानने की इच्छा या किसी से बचाने की इच्छा
किसी भी इंसान को ज्यादा समझदार बना देती है
भले वो खुद से खुद को ही क्यो न हो

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17 JUN 2021 AT 21:54

अगर कोई मुझ पर कविता लिखे
तो लिखे की मैं एक ऐसी प्रेमिका हुँ
जो अपने प्रेमी से प्रेम करने के लिए,
मैं दुनियाँ की समस्त स्त्रियों को
नेवता देती हुँ

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26 MAY 2021 AT 21:06

कुछ चीजों के ख़ातिर लड़ता रखता हूँ
कुछ चीजों से आख़िर लड़ता रहता हूँ

किसी चीज से ना लड़ने का वादा कर
मैं ना लड़ने के ख़ातिर लड़ता रहता हूँ

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15 MAY 2021 AT 23:20

क्या और क्यों की कशमकश में
हमने गुजार दी हैं पिछली रातें

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