महफ़िल में कई हुनरमंद बैठे है,
अलग अंदाज सबमे खास कला है,
नगमे भी लिखे जाते डिमांड पर,
ये गीतकार भी अपने बीच से ही निकला है ।-
कायनात भर की रुसवाइयों से,
ये दामन बेदाग रहा,
हर कलंक की परछाइयों से,
किसी च... read more
नाम और काम से "महिमा" हो,
मासूम बहुत, उदार हो तुम,
हो मेहनती, धैर्यवान, अहिंसक,
और बहुत ईमानदार हो तुम,
तनया बन के आई हो,
माता रानी का अवतार हो तुम,
मेरे घर की रौनक हो, तिमिर दूर हो जीवन से,
बिटिया बहुत समझदार हो तुम। राह तुम्हारा ज्योतिर्मय हो,
प्रगति पथ पर बढ़ो हमेशा,
कर्मयोग में तन्मय हो,
स्पर्श करो तुम सर्वोच्च शिखर को
इसमें ना कोई संशय हो,
आह्लादित "गुंजन" करो सर्वदा,
जन्मदिवस तुम्हारा मंगलमय हो।-
हालत अपना मनवा के, लोगवा जहर जुदाई के,
केहू से सुनाईह मत, तन्हाई में पिये ना देला,
तकलीफ ना बांटी केहू, हाले दिल सुना द त,
उम्मीद केहू से लगइह मत, जमाना जीये ना देला।-
बहुत घुमाया, बहुत सताया,
उसी को लुटा जिसका खाया,
बिना डकारे, खा गई पंद्रह करोड़,
पहले पहल तो खुद को डॉन बताया
बाद में डॉन वही है सहमे रहते,
अब तो आंखों से आँशु है बहते
पुलिस कर रही जांच है जबसे,
कहे घूम-घूम सत्यमेव जयते..
........बोलो कौन है वो?-
जीवन का श्रृंगार हुआ करते थे,
तुम गले का हार हुआ करते थे,
खिल उठता था उपवन सारा,
दो नैना जब चार हुआ करते थे,
जब चले ये ठंढी हवाए,
काले बादल घिर-घिर आए,
सावन की बूंदों का गिरना,
तुमसे मिलन की आस जगाए,
अब प्यार की वो बरसात नही
क्या तुमको कुछ याद नही,
फीका लगता हर मौसम,
पहले जैसी बात नही.....-
उहो एक जमाना रहे,
जब प्यार के पुरवैया बहे,
उ बनल बाड़ी हमरे खातिर,
यार दोस्त सभे कहे,
उ हमरा अंखियां के नीर रहली,
उहे हमार तकदीर रहली,
हम रहनी उनकर रांझा अउरी,
उहे त हमार हीर रहली,
फेर जाने का बात भइल,
केहू हमसे क के घात गइल,
उ "अवनीश" के छोड़ गइली,
दोबारा ना मुलाकात भइल,
दूर हमसे हमार मीत गइल,
झूठ सच्चाई से जीत गइल,
अब त बात भी ना होला उनसे,
एक जमाना बीत गइल,
-
यूँ तो लगता है हर तरफ,
खुशियों का ही मेला था,
जरा मिट्टी को भी पता चले,
ये दिल कितना अकेला था,
इस कदर सख्त होने के बाबत,
दीवाने ने दर्द बहुत झेल था.....-
वीर सपूत भारत माँ का,
नाम आजाद चंद्रशेखर,
कांप रही थी हुकूमत अंग्रेजी,
जिसके भय से थर-थर
कहा था उसने,
तेरी गुलामी नही सहूंगा,
था आज़ाद मैं,
हूँ आज़ाद, आज़ाद रहूँगा,
एक अकेले ने ही,
पूरी फौज का रास्ता रोक दिया,
जब बची थी अंतिम गोली,
उसने खुद को ही ठोक दिया,
हर सांस में जिनके,
इंकलाब की ज्वार बहे,
अपनी अंतिम सांसों तक,
वो आज़ाद रहे,
राष्ट्रप्रेम में दीवाने ने,
बलिदान की प्रथा चलाई,
युवाओं के हृदय में उसने,
स्वाधीनता की लौ जलाई,
जनम दिया जिसने अमर शहीद को,
उस माता को अभिनंदन है
ऐसे बलिदानी के चरणों में,
कोटि-कोटि वंदन है।-
बह गया वो अरमान भी
संग आँसुओ के
जो बरसो से संजोया था
खिल न सका वो फूल
जो बड़ी उम्मीदों से हृदय की
मिट्टी पर बोया था
ये कैसी बयार
हुआ उपवन उजाड़
कल तक थे हरे भरे
आज हैं बीमार
और लोग कहते हैं
ये उदासी क्यूँ..... Covid in Bihar-
मगर अफसोस कि,
दोनो ही नाकामयाब निकले,
न तो मैं समझ पाया,
और न ही तुम मिले ।-