कभी कभी भीड़ में जाना भाड़ में जाने जैसा होता है
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मेरी दुनिया है तुझमे ही कही
और ऐसी दुनिया जाए भाड़ में
अब कोई परवाह ही नही
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बे-सिर पैर की बात
मैं भी कर सकता हूँ
पर करूंगा नहीं।
भीड़ के लिए क्या जाना
भाड़ में...?-
सुनो,
छोड़ कर जा रही हो
एक बात सुनती जाओ,
सीधे भाड़ में ही जाना
दाएं बाएं ना घूम जाना-
भाड़ सा मुंह खोलते हो
"आह" करने के लिए।
कोई तो अवसर तलाशो
"वाह" करने के लिए।।
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ज़िक्र और फ़िक्र ,
करना छोड़ दो ।
😛🤝🏻😛
समझदार होगा तो आएगा ,
वरना भाड़ में जायेगा ।।-
तुम सही कहते हो, मजेदार जगह है ये
तुमने कहा था,भाड़ में चली आई हूँ-
ऐ मेरे मूरख से मन,
अब हार जा, अब ढूँढ़ मत
इस ज़िन्दगी का, एक सिरा है
कब ख़त्म हो, क्या पता है
फिर क्यों पागल के जैसे
तू टिकने के पीछे पड़ा है।
छोड़ दे उम्मीद मुझ से
झूठ क्यों बहलाऊँ तुझ को
सब बदलने का है प्रचलन
मैं 'सतत' बतलाऊँ किस को
प्यार का बहता था सागर
काजल सा काला हो गया है
शर्तों के फंदे हैं इतने
दिल पे जाला हो गया है।
(अनुशीर्षक में पढ़ें..)-
बहुत प्यार दिखाया मैनें
खुद को गिराया बेकार में
बहुत प्यार दिखाया मैनें
खुद को गिराया बेकार में
तब तू नही समझी
अब मैं नही समझूँगा
मोहब्बत गयी भाड़ में-