Ankit Pratap singh   (अंकित प्रताप)
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Joined 23 February 2018


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18 MAY AT 8:45

क्या सहेजे क्या समेटे और क्या ही बिखर जाने दे,
जो भी प्यारी चीज थी क्या एक एक हाथ से जाने दे,
जिन जिन बातों से डरता था वो सब तो हो चुका,
इन हाथो में बचा क्या है? रेत, हाँ तो इसे भी जाने दे..!!

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17 APR AT 15:46

एक शक्स है जो मेरे दिल को मकान कहने लगा है।
एक पल को तोड़ता दूजे मरम्मत करने लगा है।
सजाने लगा है वो खूबसूरत ख्वाबों से अपने
मेरे ही तस्वीरों के लिए वो किले लगाने लगा है।

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24 MAR AT 21:43

जब शब्द नही होता मन की व्यथा बताने को
जीवन भर की कठिनाइयां हो गले लगाने को
कौन यहां फिर संगीतमय ध्वनियां गा पता है
तब मनुष्य मौन का पर्याय बन कर रह जाता है

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23 MAR AT 11:42

दुनिया एक पल बहुत खूबसूरत दूजे नरक समाना
एक पल मिट्टी करे सबकुछ दूजे करे बलवाना...

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21 MAR AT 23:29

एक-एक कर सारे पत्ते बिछड़ चले...
पेड़ यहां फिर अकेला रह गया

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20 MAR AT 14:04

जब दरख्त ही नहीं तो
वादे कहाँ जी पाते हैं।

टूट कर शाख से पत्ते जमीं पर
यू ही थोड़ी न गिर जाते हैं।

हवाओ को कहाँ सलिका
प्यार का, जो वो करे इनसे...

पतझड़ आते है जाते हैं
मौसम यू ही बदल जाते हैं।।

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16 MAR AT 12:12

और फिर एक
दिन...

नदी ने अपने
प्रेम के बाढ़ में,

किनारो को ही
बर्बाद कर दिया।।

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15 MAR AT 21:19

ये चैत्र का मैसम
और शाम का नजारा,
आसमान में चाँद, स्तब्ध मैं,
और पिघलता किनारा

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14 MAR AT 2:18

फागुन बयार चल रही और मध्यम सांसे
ना नींद आ रही है ना रात कट रही...

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3 MAR AT 12:32

कागज पर स्याही खामखां नही होता,
एक कथा यूँ ही अमर नही होता,
कलम धँसा कर अस्क निचोड़ दिल से,
लिखा हर शब्द बस एक शब्द नही होता।

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