क्या सहेजे क्या समेटे और क्या ही बिखर जाने दे,
जो भी प्यारी चीज थी क्या एक एक हाथ से जाने दे,
जिन जिन बातों से डरता था वो सब तो हो चुका,
इन हाथो में बचा क्या है? रेत, हाँ तो इसे भी जाने दे..!!
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बस बातें दिल से कलम तक आ जाती है,
और जो जुबान बयाँ न कर पाए उन्हें लिख ... read more
एक शक्स है जो मेरे दिल को मकान कहने लगा है।
एक पल को तोड़ता दूजे मरम्मत करने लगा है।
सजाने लगा है वो खूबसूरत ख्वाबों से अपने
मेरे ही तस्वीरों के लिए वो किले लगाने लगा है।-
जब शब्द नही होता मन की व्यथा बताने को
जीवन भर की कठिनाइयां हो गले लगाने को
कौन यहां फिर संगीतमय ध्वनियां गा पता है
तब मनुष्य मौन का पर्याय बन कर रह जाता है-
दुनिया एक पल बहुत खूबसूरत दूजे नरक समाना
एक पल मिट्टी करे सबकुछ दूजे करे बलवाना...-
जब दरख्त ही नहीं तो
वादे कहाँ जी पाते हैं।
टूट कर शाख से पत्ते जमीं पर
यू ही थोड़ी न गिर जाते हैं।
हवाओ को कहाँ सलिका
प्यार का, जो वो करे इनसे...
पतझड़ आते है जाते हैं
मौसम यू ही बदल जाते हैं।।-
और फिर एक
दिन...
नदी ने अपने
प्रेम के बाढ़ में,
किनारो को ही
बर्बाद कर दिया।।
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ये चैत्र का मैसम
और शाम का नजारा,
आसमान में चाँद, स्तब्ध मैं,
और पिघलता किनारा-
फागुन बयार चल रही और मध्यम सांसे
ना नींद आ रही है ना रात कट रही...
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कागज पर स्याही खामखां नही होता,
एक कथा यूँ ही अमर नही होता,
कलम धँसा कर अस्क निचोड़ दिल से,
लिखा हर शब्द बस एक शब्द नही होता।
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