बस एक तारीख ही
तो बदली है,
और क्या बदला,
जिन्दगी वही,
ख्वाहिशें वही,
पुराना ही है सब मसला-
DOB - 17-09-2000
मुझे तो नफरत थी
इश्क शब्द से भी
लेकिन उसकी ये
दो आंखों के समंदर में
कब डूब गया
और इश्क में पड़ गया
पता ही नहीं चला-
कमाने की सारी जिम्मेदारी अकेले पुरूषों पर थोप देना क्या गलत नही हैं
हो सकता है वो असफल हो जाए कमाने में
तो क्या तुम उसे स्वीकार नही करोगी
उसे ताने मरोगी
इस बार तुम पैसा कमा लेना और उसे सौप देना घर 🖤-
सबकी ख्वाहिशें पूरी करने वालों,
कभी अपनी कहानी भी लिखो।
जान जलाकर पैसे कमाते हो,
खुद पर खर्चा करना भी सीखो।।
#अंतर्राष्ट्रीय_पुरुष_दिवस💫💐-
चुड़ी, पायल, बिंदिया, काजल, गजरा सब पड़े रहने दो,
खींच कर बाँधो जुल्फों को और एक लट गाल पे रहने दो...।-
ना गया ना ही आने वाला मैं इंसानों का आज
तोलता हूँ जिस किस्से मे मैं बुरा नही हूँ
राज़ भी मैं वही खोलता हूँ।
ओर कहते है शराब पीकर सच बोलते है लोग
मेरी नौटंकीयो पर मत जाना
शराब पीकर भी मैं झुठ बोलता हूँ-
हमरे गमछे में अपनी साड़ी का आँचल बांध के
सत्यनारायण की कथा सुनोगी क्या....?🙊❤-
नज़र के रास्ते कोई उतर जाये मन में
तो ना दिमाग ना दिल लगता हैं
उसको देखूँ उसको सुनू उसी को सोचू
यही हर पल लगता है
जो गोरे पन से चहरे को आँकता है
वो हर एक शक्स जाहिल लगता है
खुबसूरती का क्या काम सच्चे इश्क़ में
रंग सावला भी हो तो यार कातिल लगता है-
अब जब तलक जियेंगे
तो नफरत करेंगे हम
वो दिन ही ओर थे
जो मोहब्बत मे कट गये..!!-