QUOTES ON #ब्रह्मांड

#ब्रह्मांड quotes

Trending | Latest
9 FEB 2020 AT 14:49

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27 JAN 2020 AT 13:58

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19 JAN 2021 AT 22:30

छाया सन्नाटा ब्रह्मांड में
जब बोलने वाला मौन हुआ
थम गई मेरी सारी दुनियां
अंबर भी गतिहीन हुआ

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8 OCT 2020 AT 19:01

ईश्वर को आंकनी थी
ब्रह्मांड की सीमा...

अतः उसने प्रेम को रचा।

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20 JUN 2021 AT 11:12

जिस प्रकार
ब्रह्माण्ड की समस्त शक्तियां
अवलम्बित होती हैं सूर्य पर
ठीक उसी प्रकार
परिवार की समस्त शक्तियां
अवलम्बित होती हैं एक "पिता" पर...!


(कृपया अनुशीर्षक में पढ़ें)

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28 MAY 2024 AT 22:53

हर ग्रह की अपनी धुरी, अपनी गति, अपनी दिशा,
हम दोनों अपने प्रेम की परिधि पर देखो घूमे सदा

बृहस्पति ग्रह है मनमौजी ,रखता कई चांद वो सदा
हम पृथ्वी और चन्द्र जैसे सिर्फ एक दूजे के रहे सदा

ब्लैक होल की है गहराई, अद्भुत रहस्यमय, अथाह,
हम छिपाए दिल में, प्यार का गहरा अनगिनत भाव

ग्रहों का आकर्षण ,अदृश्य,अडिग और अनंत स्थायी,
गुरुत्वाकर्षण बल की तरह ,प्रेमबल हमारा सदा स्थाई

ग्रहों के बीच अन्य ग्रह आने से होता है क्षणिक ग्रहण
ना ग्रहण प्रेम में, हो विश्वास की अनंत ,अटूट ,गहराई,

समय के बंधन मुक्त ब्रह्मांड में ग्रहों का हो परिभ्रमण
सात जन्म नहीं ,करे एक दूसरे का हर जन्म में वरण

बिगबैंग सिद्धांत से विस्तृत होता सघन ब्रह्मांड हमारा
प्रेमज्योति पुंज सा अनंत, निरंतर ,विस्तार होता हमारा

नक्षत्रमणि के असीम तारो में अद्भुत, अडिग ,ध्रुव तारा
ध्रुव तारा सा स्थिर अचल "ऋत्विज़ा" है सुहाग तुम्हारा
ऋत्विज़ा

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15 MAY 2020 AT 10:19

कविता
" केवल उतना हाथ "
( अनुशीर्षक में पढ़े )

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7 MAY 2020 AT 10:43

मैं एक पत्थर हूं
मुझे खुद में नवजीवन का आभास लाना है
हां, मुझे लहरों से टकराना है!

मैं एक स्त्री हूं, हां
मुझे भेदभाव से ऊपर उठकर
इस ब्रह्मांड से परे
एक नया ब्रह्मांड बनाना है
हां,मुझे खंजरो से लड़ जाना है!
और लड़ कर उन खंजरो से
निश्चय मुझे राह-ए-शीरी बन जाना है!

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15 MAR 2021 AT 17:56

इतने बड़े ब्रह्माण्ड में
बड़ी मुश्किल से मिला था ईश्वर

सो— लौटते वक्त..
चुपके से उठा लाया
ब्रह्माण्ड में चक्कर लगा रहे
असंख्य गेंदों में से
एक सेब जैसा बिलकुल लाल गेंद..

देखते ही देखते
चरमरा कर हिल गयी
ब्रह्माण्ड की विराट इमारत...

कितना हास्यास्पद है न
फिर भी आप विश्वास नहीं करेंगे..


ईश्वर—
तब से— ढूंढ रहा है मुझे
इधर से उधर... और उधर से इधर..

बहुत मुश्किल है
इतनी बड़ी पृथ्वी पर— ढूंढना मुझे.. ।

कविता


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1 MAY 2023 AT 22:55

दूर गए प्रेम की खोज में अक्सर......
ढूंढ ही लेती हूँ स्मृति का कोई कोमल सा तना

स्मृतियों के तनो, शाखाओं पर प्यार के फ़ूलों में
ढूंढ ही लेती हूँ ,तेरे प्यार की कस्तूरी महक

ब्रह्माण्ड की हथेली से बड़ा वेदना का पर्वत
ढूंढ ही लेती हूँ ,अमावस में उम्मीद की किरण

बढ़ती दूरी से उपजती पीड़ा के बादलों से
ढूंढ ही लेती हूँ ,तेरे मधुमय प्रेम की कुछ बूंदे

विस्तृत ब्रह्मांड भरा हुआ है तम से तो क्या
ढूंढ ही लेती हूँ ,कमरे में दोनो का आसमान

अज्ञात अनजान लोक में अब तेरा ठौर ठिकाना
ढूंढ ही लेती हूँ ,दिल की गलियों में तेरा ठिकाना

मुकद्दर के खजाने में सिर्फ मजबूरियों के सिक्के
ढूँढ ही लेती हूँ, इन सिक्कों में तेरे प्यार की खनक

लापता है तेरे कदमों के निशाँ ज़मी की मिट्टी से अब
ढूंढ ही लेती हूँ, सेहरा की रेत पर तेरे कदमों के निशाँ

है लापता ,उलझी सी हुई राहें तुझ तक पहुँचने की
ढूंढ ही लेती हूँ, तुझ तक की राह, तेरे एहसास-ए-चाहत के सहारे

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