ये चांद तारे हुस्न इश्क़ सब फीके पड़ जाते हैं
एक बेरोजगार की जिन्दगी में ऐसे पल भी आते हैं
-©सचिन यादव
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"एक वक़्त के बाद न 'अभि' कमबख्त ये 'बेरोजगारी' लोगों की आदत बन जाती हैं।
फ़िर धीरे-धीरे वो 'इंसान' को आर्थिक, मानसिक व सामाजिक रूप से खा जाती हैं।"-
😳ना कोई ख़ुशी ना कोई गम है..
😣खाली सा बैठा हूँ और खामोशी का आलम है..
😫हर बेरोजगार का दर्द बस इतना सा है..
🤐हर पल मिलता दुनिया ताना बड़ा ज़ालिम सा है..
#बेरोजगार..P-1 @DEVILPRINCE2.0
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कभी भी नेताओं की झूठी बातों के झांसे में ना आएं
ये गरीबों का खून चूसे और अपनों को ही पनपायें
सोचो, मंत्रियों के पिल्लों को भी अगर नौकरी चाहिए
तो हम बेरोजगार भी, स्वरोजगार को क्यों अपनाएं
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बेरोजगार हैं हम तो फ़र्क नहीं तुम्हें,
ख़ैर चुनाव आ रहा हैं, मतदान से तो फ़र्क पड़ेगा ही।
#रोजगार_नहीं_तो_मतदान_नहीं
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गुनाहगार यूं इश्कदर सर छिपाए घूमते फिर रहे है
जो दिल नहीं लगाया करते वो नोटों को चूम रहे है
जो दिल लगा के तार तार बैठे है जो आशिक ही नहीं
है वो नोट गीन रहे है, जो आशिक है बेरोजगार बैठे है
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