आसमा हो या
ज़मीं का फर्श
पंछी भी समझते हैं
प्रेम का स्पर्श।-
Anvit Kumar
(अन्वित कुमार)
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Joined 7 June 2019
23 APR AT 10:57
सद्कर्म ही तो कार्य है,
बाकी तो सब कुकर्म है
मानवता एक धर्म ही,
बाकि तो सब अधर्म है।-
21 APR AT 11:52
कौन लगाए अंदाजा,
हुस्न के पहरे का,
रखता हूं मैं जेब में
तस्वीर तेरे चेहरे की।-
15 APR AT 14:10
सबको सब कुछ मिल जाए
ऐसा कैसे हो सकता है?
सूखा हुआ गुलाब खिल जाए
ऐसा कैसे हो सकता है।-
6 APR AT 14:10
बेजुबां की चीखें
क्या सुनेंगे बहरे लोग ?
रह जाएंगे-बस जाएंगे
बन जाएंगे शहर-ए-लोग।-
3 APR AT 20:20
जंगल की आग से
किसे क्या मतलब है?
लोग तो जानते हैं
सिर्फ चेहरे से ही
किसी की राख से
किसे क्या मतलब है।-
3 APR AT 15:09
वन में क्या कमी थी?
ये चिड़ियाघर
क्यों बनाए गए?
गांव में क्या कमी थी,
ये नगर क्यों बसाए गए?-