ये इधर उड़ी वो उधर उड़ीआपस में लड़ती पतंगइधर गिरी उधर गिरीआपस में कटती पतंगबच्चे दौड़े इधर उधरकहां ये फंसी पतंगहुई लड़ाई बच्चों मेंफिर, ये मेरी पतंगहै, वो मेरी पतंग। -
ये इधर उड़ी वो उधर उड़ीआपस में लड़ती पतंगइधर गिरी उधर गिरीआपस में कटती पतंगबच्चे दौड़े इधर उधरकहां ये फंसी पतंगहुई लड़ाई बच्चों मेंफिर, ये मेरी पतंगहै, वो मेरी पतंग।
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जिन्हें लगता थान जी पायेंगेउनके बिनमर भी कहां पाएवो उनके बिनवो ज़िंदा तो हैमगर इक लाश हैलाश भी कभीजिंदा हुआ है ?रूह के बिन। -
जिन्हें लगता थान जी पायेंगेउनके बिनमर भी कहां पाएवो उनके बिनवो ज़िंदा तो हैमगर इक लाश हैलाश भी कभीजिंदा हुआ है ?रूह के बिन।
तुम्हे याद करकेमन नहीं थकेगातुम चले गएअब मन नही लगेगा। -
तुम्हे याद करकेमन नहीं थकेगातुम चले गएअब मन नही लगेगा।
संस्कृति का हाथों सेआभा बांधते हैंजब कलाइयों में, कलावा बांधते हैं। -
संस्कृति का हाथों सेआभा बांधते हैंजब कलाइयों में, कलावा बांधते हैं।
तुम पढ़ लो साहित्यप्रेम पद्य, प्रेम गद्य मगर प्रेम का आभासतो तब होगा तुम्हें जब वो लिखेगा औरतुम पढ़ोगी प्रेम पत्र। -
तुम पढ़ लो साहित्यप्रेम पद्य, प्रेम गद्य मगर प्रेम का आभासतो तब होगा तुम्हें जब वो लिखेगा औरतुम पढ़ोगी प्रेम पत्र।
मुख है जिनके उनके जैसेजिनके सप्त-सयंदन जितने पुष्प मढ़े है इसमेंमानों हर दल में कुंदनजिसने भी ये पुष्प है भेजेउन्हें बार बार अभिनंदन। -
मुख है जिनके उनके जैसेजिनके सप्त-सयंदन जितने पुष्प मढ़े है इसमेंमानों हर दल में कुंदनजिसने भी ये पुष्प है भेजेउन्हें बार बार अभिनंदन।
आंखो में निशां काजल के,बरसती है, ये अंखियां, मेरेजैसे हो, बादल सावन के। -
आंखो में निशां काजल के,बरसती है, ये अंखियां, मेरेजैसे हो, बादल सावन के।
ये कैसी विडंबनादेखती है नज़रे ये कैसा औचित्य,मकानों में जूतेसड़कों पे साहित्य। -
ये कैसी विडंबनादेखती है नज़रे ये कैसा औचित्य,मकानों में जूतेसड़कों पे साहित्य।
रोना पड़े तो ढूंढना होगावो कमरा, जहां कोने मेंबैठकर रो सको तुम। -
रोना पड़े तो ढूंढना होगावो कमरा, जहां कोने मेंबैठकर रो सको तुम।
दहकते शोलों में अब ठंडक पड़ गई हैंकैसे देखूं उनका चेहराअब इन चेहरों में घूंघट पड़ गई हैं। -
दहकते शोलों में अब ठंडक पड़ गई हैंकैसे देखूं उनका चेहराअब इन चेहरों में घूंघट पड़ गई हैं।