Anvit Kumar   (अन्वित कुमार)
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Joined 7 June 2019


Joined 7 June 2019
15 SEP AT 21:14

उनसे जो मैं
इकबार मिला,
इक बार जो
हुई मुलाकात,
तो फिर कहां मैं
बार-बार मिला।

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15 SEP AT 15:22

आंखों से ही मदहोश
हो जाता हूं मैं,
मगर शराब
पसंद नहीं मुझे,
यहां खुशबू के
कई मायने हैं
मगर गुलाब
पसंद नहीं मुझे।

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14 SEP AT 14:49

मुझे सफ़ेद पुष्प,
अन्य फूलों से अधिक
आकर्षित करता है,
क्योंकि ये सबको
आकर्षित नहीं करता।

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14 SEP AT 14:40

वो कौन था ?
जो आंसू बहा गया,
क्या उसे
किसी ने देखा है ?
जो आंसू छुपा गया।

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3 SEP AT 20:02

तुझे देखा है,
कहीं तो देखा है
तुझे देखा तो
खयाल आया
अरे ! तुझे देखा है
यहीं पे देखा है।

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3 SEP AT 10:54

कौन जानता है ?
तुम किसके हो जाओगे
दिल तो तुम्हारा है
तुम जिसे चाहोगे
उसके हो जाओगे।

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2 SEP AT 11:02

अब कभी आबाद
नहीं हो सकता,
इस तरह बर्बाद किया है
सारी हसरतें डूब गईं,
इस तरह बरसात किया है।

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26 AUG AT 22:11

कांटे अगर चुभ जाए
तो दुखता है बस,
फूल अगर चुभ जाए
तो मौत भी नहीं आती।

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24 AUG AT 10:18

जहां घर है इनका
वहीं रहते हैं लोग,
चंद लोग हैं मत सुनो,
कुछ भी कहते हैं लोग।

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6 AUG AT 16:53

मेरे जाने के बाद
की जाएंगी
मेरी बुराइयां
हां,मेरी अच्छाइयों
का भी ज़िक्र होगा

जीवनभर
मुझे ज़माने का
फ़िक्र रहा था
क्या ज़माने को भी
मेरा फिक्र होगा ?

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