Anvit Kumar   (अन्वित कुमार)
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Joined 7 June 2019


Joined 7 June 2019
30 MAY AT 10:34

तुम कहते तो
जान दे देते हम
बिना दिल के
कौन जीता है यहां।

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17 MAY AT 11:30

पिंजरे क्यों खरीदें हम
बगीचे में पंछी नहीं आते क्या ?
पंछी पिंजरे में क़ैद है,
बाहर इंसानियत मरी पड़ी है।

हां लेकिन हम खरीद लेंगे,
पंछियों से भरा पिंजरा
और मुक्त कर देंगे
उसे खुले आसमान में
चहकने को उसे,
सारी दुनियां पड़ी है।

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14 MAY AT 22:03

कौन पहचानेगा ?
जब पहचान चली जाए
आदमी तब आदमी
नहीं रहता, जब
जान चली जाए।

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14 MAY AT 12:39

दुश्मन जो ढूंढा
तो चमन नहीं मिला,
रिश्तेदारों के जैसा कोई
दुश्मन नहीं मिला।

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13 MAY AT 16:45

तुम गए तो
क्या हुआ?
तुम थे तो
जीते थे हम,
मर गए तो
क्या हुआ।

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8 MAY AT 14:02

दिलों में रोज़ 
एक जंग छिड़ती है 
मानो वो हमसे
रोज़ बिछड़ती है।

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7 MAY AT 18:14

कुछ और हैं बातें
कुछ और हैं हसरतें
कुछ और है नफ़रत
कुछ और हैं सरहदें।

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6 MAY AT 14:25

हम तो रह जाते
यूं ही उम्र भर
जो तुम न आते
तो ये ज़िंदगी
रास ना आती।

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5 MAY AT 10:07

अलमारियों में
धूल फांकती
पुरानी किताब,
नहीं देखा आज तक
पुरानी शराब।

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27 APR AT 8:43

आसमा हो या
ज़मीं का फर्श
पंछी भी समझते हैं
प्रेम का स्पर्श।

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