अज्ञानी मैं या तुम...,,
मूक प्राणियों
की आवाज..!-
वाह रे इंसानों क्या इंसानियत हैं
एक बेजुबान की कोई कीमत नहीं
और दूसरी तरफ एक बेजुबान की
इतनी कीमत
वाह!!
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--- काव्यांजलि ---
--- अनुशीर्षक में पढ़िए ----
बेजुबान जानवर हूं कोई दोषी नहीं जो ऐसी मौत दीं तुम मनुष्यों ने मुझे
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बेजुबान हूं इसलिए
मैं हार गया तुम मनुष्यों पर
विश्वास करते करते
अच्छा किया उस ख़ुदा ने
मुझे मनुष्य ना बना कर
नहीं तो शायद मैं भी
तुम मनुष्यों की तरह
मतलबी होता
अपनी मौत के साथ - साथ
तुम्हारी मौत भी लिख जाता
अगर मैं बेजुबान ना होता तो
मैं हार गया तुम मनुष्यों पर
विश्वास करते करते
तुम मनुष्यों से तो अच्छा ही हूं
क्योंकि तुम मनुष्य तो
अपने मतलब के लिए
अपनों को भी मौत दें देते हैं
फिर मैं क्या चीज़ हूं
एक बेजुबान, निर्दोष
जानवर ही तो हूं
कोई दोषी नहीं जो
ऐसी मौत दीं तुम मनुष्यों ने मुझे-
एक बेजुबं से मिला दिया उसको
वो हिली नहीं बस बैठी थी_
था इंतज़ार कबसे उसको
वो पक्छी उसी की बेटी थी_-
बेजुबान जानवर
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ये साथ रहना जानते हैं,
अपनो की तरह साथ छोड़ना नहीं।
ये प्यार करना जानते हैं,
नफरत करना इनकी फितरत में नहीं।
प्यार करेंगे तो, दोगुना मिलेगा,
जान बचाएंगे तो, अपनी जान देकर भी बचाएगा।
👍👍👍👍-
शराफत की दुनिया कहा रही अब ,
जो शाकाहारी जानवर है लोग उसी को मारकर खाते हैं,
जो मांसाहारी जानवर है लोग उनसे कोशों दूर रहते हैं।
अगर जानवरों को इतना ही मारने का शौक है,
तो शेर के पास जाकर पताका लगाओ।
वो तुमको वही भाषा मे सबक सिखा देगा,
छट्टी का दूध याद दिला देगा।
सीधे लोगो को सब सताते है,
जो थोड़ा भी बुरे है उनसे दुनिया भी डरती हैं।
अभी तुम कहर ढा रहे हो तो वो खामोश है,
जब कुदरत कहर ढायेगा तो इन्सान खामोश हो जायेगा।
शराफत की दुनिया खत्म हो गयी,
जो किसी का नुकसान नही करेगा लोग उसे मार देंगे,
जो नुकसान करेगा उससे लोग कोशों दूर हो जायेंगे।
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