priya   (Priyanka das)
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मैं और मेरी कलम।
Joined 25 February 2020


मैं और मेरी कलम।
Joined 25 February 2020
24 AUG 2023 AT 8:49

चीनी समझ कर घोल दिया है मेरी बात को पानी में ,अब कहते है इसे जहर समझ कर पी जाओ।

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12 APR 2023 AT 21:11

चाँद –तुम मुझे क्यों देख रही हो
मैं –तुम्हें पाने के लिऐ

चाँद –लेकिन मैं दिन में नही निकलता
मैं –मैं भी!!

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7 APR 2023 AT 14:01

मुझे एक सुंदर सा
दुपट्टा ला दो
उसकी कोर
खुद सी लूंगी मैं
तुम बस
मेरे सर पर उड़ा दो।

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23 NOV 2022 AT 19:55

Jindgi jee lo yaaro
Kya pata abhi hum hai
Kl koi or.

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15 NOV 2022 AT 18:43


क्या लिखूं आज समझ नही आ रहा है
कुछ पास है तो कुछ दूर जा रहा है
सोचती हूं शायद दिन खराब था मेरा
लेकिन ऐसा दिन हर बार आ रहा है
मन में हड़कम सी मची हुई है
लगता है जैसे कोई बात दबी हुई है
क्या में गलत हूं या मेरा बुरा वक्त आ रहा है।

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26 SEP 2022 AT 23:03

अब खुद ही सुलझाने दो मत रोको इस वक्त मुझे
अभी जाना ही जरूरी है ,जाने दो
मत देखो ऐसे मुझे मेरा हृदय घबराएगा
कितनी मुस्किल से इसे मनाया है,ये फिर रूठ जाएगा
आंखों से प्रेम रस जो झलका रहा है
उस रस को पी जाने दो
अभी जाना ही जरूरी है ,जाने दो।


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25 SEP 2022 AT 17:45

Jarurat kya hai? jarurat kya hai?
Keh kar khud hi jarurat ko jatate ho
Lagta hai kisi or ko nhi jarurat ko chahte ho

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21 SEP 2022 AT 0:48

मेरे प्रियतम यार की।

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20 SEP 2022 AT 12:34

जिसे दिन में देख न सके
उसकी आहट ने मुझको छला
वो भागता रहा हम उसे पकड़ न सके
निकली थी में तो अपने ही प्यार को तलाशने
आने वाले थे आज बो ,पता नही क्यों आ न सके
तभी एक आवाज़ आई दिल खुश हो उठा
नाराज़ थी, पर उनको सुनते ही नाराज़ हो न सके
पीछे मुड़ कर देखा तो सन्नाटा था , सायद धोखा था मेरा
तभी मुझे फोन आया और कोई बोला ,वो आना चाहते थे आपके पास
पर बो खुद को बचा न सके ।

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16 SEP 2022 AT 23:32

नीद मुझे भी कहा आई थी
उसका हाल भी वही था जो हाल मेरा था
वो भी तन्हा था मेरे पास भी तन्हाई थी
आज उसमे चमक नही, बस रो-रो कर वो लाल था
मेरी भी आंखे नम थी, चेहरे पर उदासी छाई थी
चाँद रोता रहा रात भर नीद मुझे भी कहाँ आई थी।

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