जिसे दिन में देख न सके
उसकी आहट ने मुझको छला
वो भागता रहा हम उसे पकड़ न सके
निकली थी में तो अपने ही प्यार को तलाशने
आने वाले थे आज बो ,पता नही क्यों आ न सके
तभी एक आवाज़ आई दिल खुश हो उठा
नाराज़ थी, पर उनको सुनते ही नाराज़ हो न सके
पीछे मुड़ कर देखा तो सन्नाटा था , सायद धोखा था मेरा
तभी मुझे फोन आया और कोई बोला ,वो आना चाहते थे आपके पास
पर बो खुद को बचा न सके ।
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