बेकरारी है मेरे रातों में
मगर तु चैन से सो जाता है
इज़हार है मेरे लफ़्ज़ों में
मगर तु सुन कहां पाता है
इंतजार है मेरे हर लम्हों में
मगर तु नहीं आता है।
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दर्द होगा , बेचैनी होगी, बेकरारी भी होगी
अगर मोहब्बत करते हो तुम्हें भी ये बिमारी जरूर होगी ।।-
भुलूँ अगर मैं ऐ दिल तुम याद दिला देना
कितनी तनहाई, कितनी बेकरारी रहती है
उन्हें हिसाब दे देना ।।-
मोहब्बत की है तो अदब-ए-वफा भी सीखो,
ये चार दिन की बेकरारी मोहब्बत नहीं होती।-
समझने वाले नजरों की हर अदा समझ लेते है,
महबूबा सपनों में मिल जाये कभी
तो उसे मुलाकात समझ लेते है,
रोता तो है आसमान धरती को पाने के खातिर ,
देखने वाले उसे बरसात समझ लेते हैं...-
यूँ तुम ही वाकिफ़ हो फक़त
मेरे हर सुकूँ और बेकरारी से
ये हुनर एक तेरे सिवा और किसे आता है..!!-
तेरी याद, तेरी तलब
तेरी ही आरज़ू...
एक अजब सा सुकून है
इस बेकरारी में भी ....-
अगर इश्क करो तो आदाब ए वफ़ा भी सीखो,
यह चंद दिनों की बेकरारी मोहब्बत नहीं होती,,-
मैं तुझसे कैसे कहूँ अपनी बेकरारी
ईशारे समझने में ही है समझदारी-