बुढापा -- प्रेम का प्रतीक ( प्रथम अंश)
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बैठो मिलजुल प्यार करें , आओ हम तुम प्यार करें।
जीवन भर लड़ चुके बहुत ,अब एक दूजे का एतबार करें।
बैठो -------।
इश्क की हस्ती आज भी है ,जीवन की मस्ती आज भी है।
दिल में चाहत आज भी है ,मन में उमंगे आज भी है।
धरती पर रस बाकी है ,अपना जीवन एकाकी है ।
जो बीत गया सो बीत गया, अभी बहुत कुछ बाकी है ।
आवश्यकता की धरती पर,प्यार की चल शुरुआत करें।
आओ हम तुम प्यार करें ,------------------।
सागर का कल-कल आज भी है,वर्षा की झमझम आज भी है ।
प्रेम का संगम आज भी है, गीतों में पंचम आज भी है ।
गुलशन गीले लगते हैं , फूल नशीले आज भी हैं।
भ्रमर झूमते जपते हैं,मस्त गूंजते आज भी हैं ।
आ सुहाग की रात सजाएं,एक दूजे संग इकरार करें।
आओ हम तुम प्यार करें ,--------------।
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