दुनिया चाहती है ..उफ्फ.. तक ना निकले
उन बुजुर्ग अवरुद्ध लड़खड़ाती काया से..
जो भागते रहे जीवन भर ..
आपके हर एक इशारे पर ..
अपनी फटी एड़ियों की दरारें लिए।
दुनिया चाहती है ..उफ्फ.. तक ना निकले
उन बोझिल हुई पिंडलियों से ..
जो भागती रही .. रात दिन मेहनत करती...
तुम्हारी ख्वाइशों का पेट भरने के लिए।
Rest in caption....
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कुर्सी पर बैठ कर जवानी में बुढ़ापे की बात सोचता हूँ,
आलस मुझे खा ना जाए, इसलिए खुद ही खुद को टोकता हूँ।
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बुढापा -- प्रेम का प्रतीक (अंतिम अंश)
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तू मुस्काए तो हेमा सी ,शर्माती तो शर्मीला।करुणा में दिखती जयाप्रदा ,बलखाये तो उर्मिला।
हंसती है तो ग्रेट माधुरी,रोती है तो मीना ।
एक्टिंग में श्रीदेवी लगती,लहराए तो कैथरीना।
सभी सामने फीकी तेरे ,आ तेरा हम श्रृंगार करें।
आओ हम तुम प्यार करें,-----।
हाथों में अब जाम नहीं है, जिम्मे कोई काम नहीं है। अपने दिखाते हस्ती है , रिश्तों की अपनी मस्ती है।
सब आते हैं चले जाते हैं ,हम बैठे देखते रह जाते हैं।
अब अपनों से होती बात नहीं है ,शायद अपनी औकात नहीं है।
रामनाम की पावन बेला ,आ ईश्वर का गुणगान करें।
आओ हम तुम प्यार करें,--------।
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पर चाहत से क्या होता है,
और बचपन बोझा ढोता है।
हालात की आंधियों में ,
और बुढ़ापा रोता है।
.......निशि..🍁🍁-
बुढापा -- प्रेम का प्रतीक ( प्रथम अंश)
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बैठो मिलजुल प्यार करें , आओ हम तुम प्यार करें।
जीवन भर लड़ चुके बहुत ,अब एक दूजे का एतबार करें।
बैठो -------।
इश्क की हस्ती आज भी है ,जीवन की मस्ती आज भी है।
दिल में चाहत आज भी है ,मन में उमंगे आज भी है।
धरती पर रस बाकी है ,अपना जीवन एकाकी है ।
जो बीत गया सो बीत गया, अभी बहुत कुछ बाकी है ।
आवश्यकता की धरती पर,प्यार की चल शुरुआत करें।
आओ हम तुम प्यार करें ,------------------।
सागर का कल-कल आज भी है,वर्षा की झमझम आज भी है ।
प्रेम का संगम आज भी है, गीतों में पंचम आज भी है ।
गुलशन गीले लगते हैं , फूल नशीले आज भी हैं।
भ्रमर झूमते जपते हैं,मस्त गूंजते आज भी हैं ।
आ सुहाग की रात सजाएं,एक दूजे संग इकरार करें।
आओ हम तुम प्यार करें ,--------------।
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दर्द दिल में नहीं जिंदगी में है ...
जिसका इलाज न है किसी वैद्य के पास ,
ना किसी खुदा की बंदगी में है ...-
दर्द ही दवा हो जाता है एक उम्र के बाद,
बस तजुर्बा हो जाता है एक उम्र के बाद।
यकीन नही होता वक़्त के गुजर जाने का,
फिर भरोसा हो जाता है एक उम्र के बाद।
किस बात पर मै रूठा था, क्यों वो चला गया,
सब खामखां हो जाता है एक उम्र के बाद।
बचपन में जो शख्स होता है नटखट और चंचल,
वो भी संजीदा हो जाता है एक उम्र के बाद।
ज़िम्मेदारियां इंतजार करती है बचपन जाने का,
बच्चा बड़ा हो जाता है एक उम्र के बाद।
पहले ज़िन्दगी की दुआएं फिर मौत का इंतजार,
जाने क्या हो जाता है एक उम्र के बाद।-
उम्र खाने से समझदारी नहीं आती
हमने बचपन को सम्भलते हुए
और बुढ़ापे को बहकते हुए देखा है
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