SUMAN SHARMA   (सुमन की कलम)
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Joined 8 December 2022


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7 MAY AT 21:16

वह मेरे दिल को शीशे की तरह तोड़ता रहा ,
कोई उन्हें बेवफा न समझ ले इसलिए
हम जिंदगी भर उन टूटे टुकड़ों को जोड़ते रहे ,
और कुछ इस तरह बेबस जिंदगी के तजुर्बे
उन टूटी दरारों से झांकते रहे ।

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6 MAY AT 7:54

हाय
ये
गालियां ...

(अनुशीर्षक में पढ़ें)

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4 MAY AT 16:32

उसे सिर्फ मेरा
मुंह फुलाना
दिखता है !

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4 MAY AT 2:52

धर्म कभी गलत नहीं सिखाता
और जो गलत सिखाता है ..
वह धर्म ही नही होता।

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4 MAY AT 2:43

यह कैसी खूबसूरती ?
यह कैसा कश्मीर ?

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4 MAY AT 2:13


मेरी आंखों ने उसे ..
अपनी रोशनी बनाया था ,
अब वह नजरें ही नहीं..
तो क्या रोशनी और क्या अंधेरा ?

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2 MAY AT 16:14

उसने कहा मुझे मेरा उपहार देना,
मैंने कहा.. मैं तुम्हें एक shirt दूंगी ,
उसने मुस्कुरा कर कहा...
हां ..मगर एक बार पहन कर देना।
पता नहीं उसके लिए उपहार क्या है?
वह शर्ट..या.. वह स्पर्श !

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2 MAY AT 12:47

मैंने उसे साधारण से अमूल्य बनाया,
उसकी चमक को शीर्ष तक पहुंचाया
और फिर वह ठहर गया वहीं पर जाकर,
अब न मैं उसकी ऊंचाई तक देख पाती हूं
और न ही वह इतनी नीचे ..
मेरे प्रेम की गहराई तक ।

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1 MAY AT 21:51

वह लगता है पूर्ण ..
मगर अक्सर अधूरा रहता है।
यह प्रेम है साहब ,
अच्छे भले को पागल करता है ।

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29 APR AT 20:45


निर्मल.. निश्चल..
पानी सी पारदर्शी हूं मैं ..

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