मैं हूं कली ...
तेरे आंगन की।
-
I write whatever i feel....
जगत की वास्तविकता से अनभिज्ञ ...
बं... read more
जो प्रेम कहानियां अधूरी रह जाती हैं...
उनकी कसक अक्सर ....
इज्जत के बोझ में दबी रह जाती हैं।-
मैं उससे मिलने की दूरियां तय करती हूं ,
फिर वह बताता है मुझे ...
कि मुलाकात होगी या नही।-
अब ना कुछ लिखने का दिल करता है
न कुछ सोचने का ,
ना किसी को याद करने का दिल करता है
न किसी भावनाओं में बहने का।-
किसी के तुम्हें आवाज देने पर
उसकी बात का उत्तर जरुर देना,
कभी यह ना हो कि कभी तुम्हें उसकी जरूरत हो ,
तुम उसे बार बार आवाज दो...
और वह जानबूझकर तुम्हें अनसुना कर दे।
यह समय का चक्र है साहब ...
घूम कर वापिस जरूर आता है ।-
वह मुझे अपनी मौजूदगी का एहसास तो कराता है ,
मगर प्रत्यक्ष कभी मिलता नही ।
कहीं वह खुद को ईश्वर तो नही समझने लगा है।-
मैं तुम्हारे शब्दों में जाकर...
उनमें खुद को रोज़ ढूंढती हूं ,
तुम जितना दूर जाते हो मुझसे,
मैं उतना ही तुम्हारे करीब लौट आती हूं।-