SUMAN SHARMA   (सुमन की कलम)
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Joined 8 December 2022


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Joined 8 December 2022
24 SEP AT 11:58

जब हम चलते चलते ..
यूं ही किसी मुसाफिर से टकरा जाते हैं,
और कुछ मुस्कान भरे लम्हे हमें छूकर निकल जाते हैं ,
ऐसे ही समय के वह पल यादों में संजोए जाते हैं,
कुछ इस तरह ही तो...
छोटे-छोटे शब्दों में एहसास पिरोए जाते हैं ।
छोटी छोटी बातों में खुशनुमा लम्हें जिए जाते हैं।

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18 SEP AT 12:44

कागज की दास्तान कहो
या फिर जीवन में मनुष्य की दास्तान।
उपयोग करने के बाद अक्सर
उसका मूल्य व्यर्थ समझ लिया जाता है,
या फिर पूर्ण व्यर्थ भी ना हो तो
किसी स्थान पर उसे रख दिया जाता है,
जहां अक्सर..
वह कई समय तक
खामोश ,अनदेखा पड़ा रहता है ,
उसकी संवेदनाओ से किसी को
ज्यादा मतलब नहीं होता
और कुछ ऐसे ही धीरे धीरे
उसका जीवन पूर्ण एवं समाप्त हो जाता है।

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14 SEP AT 19:19

जरूरत हूं मैं तुम्हारी...
या मेरे बिन भी खुश रह पाओगे,
काश जाते-जाते तुम मुझे यह बात भी समझा जाते

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10 SEP AT 20:22

मैं लम्हा लम्हा बीत रही हूं ,
कुछ तुम जैसा होना सीख रही हूं।

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2 SEP AT 22:19

मूक
हुए
कुछ
दर्द ..
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2 SEP AT 16:54

वह मरुस्थल की आंधी...
(अनुशीर्षक में पढ़ें)

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1 SEP AT 16:42

रात भर निर्झर बारिश से भीगी थी पलके,
और पलकों पर भारीपन इतना था कि
वह पूर्ण रूप से बंद हो गई थी ।
और बाहरी दुनिया को देखने के काबिल ही न थी।

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1 SEP AT 9:42

वह बहती नदियां ...
जो जीवन भर समुद्र से नहीं मिल पाती हैं,
नित् विरह की अग्नि में जलकर सूख जाया करती हैं।

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29 AUG AT 19:01

यह शहर दूर से चमकता हीरा है..
मगर खोखला...।

Read in captions....

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26 AUG AT 15:44

अंतर्राष्ट्रीय महिला समानता दिवस
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