तुम भी एक सिकंदर हो बुजदिली का न नाम दो
ज़िन्दगी जीनी है तो अपने मक़सद को अंजाम दो
डगर बहुत कठिन है पहले ही सोच के बैठे हो
बाहर निकलो यार राह की ठोकरों को सलाम दो-
बुजदिली होती है खुदकुशी करना
मैं अपने खामोशी का कोई हल निकालूंगा।।-
'बुजदिली रास नहीं आती'
मेलों में भी घूमते हैं हम तन्हा तन्हा होकर।
कि रंगीनियां मेलों की हमें रास नहीं आती।
हम रहते हैं मगन ख़ुद ही के साथ अक्सर ।
कि पता नहीं क्यूं परछाईंयां रास नहीं आती।
एक जुनून सा रहता है दिल के भीतर सदा।
कि दुनिया की गर्दिशें हमें रास नहीं आती ।
मंजिलों को आंखों से ओझल नहीं होने देते।
कामयाबी सहज, रूसवाईयां रास नहीं आती।
जुड़ते जाते हैं कदम ,चल दिए हिम्मत के साथ।
कारवां बनता जाता,विरानियां रास नहीं आती।
तन्हाईयां डराती है, कमजोर हो मनोबल गर ।
शूरवीरों को 'सुधा' बुजदिली रास नहीं आती ।
सुधा 'राज'
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साथ मेरे ही जवान हसरतें हुईं मगर
बुजदिली वो मुफ़लिसी ने क़त्ल उनका कर दिया
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दर्द सहने की असली ताकत से वाकिफ़ कहाँ हो तुम,
लब तब भी मुस्कुराने चाहिए अंदर तकलीफ़ों का बवंडर जब कसक रहा हो।-
हिम्मत हिमालय दिलाती है
सम्बन्ध स्नेह दिलाती है
प्रेम परम् पवित्र पूर्णता दिलाती है
पर बुजदिली एवं कायरता एक
बेमेल बन्धन प्रदान करती है
जिसे आप ताउम्र एवं ताज़िन्दगी सिर्फ़ और
सिर्फ़ अपने सर पर ढोते
या बिस्तर पर बिछाते रहते है
एक निर्जीव वस्तु की भांति !
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जिंदा थे तुम तो हमें जिंदादिल लगे...।
जाने क्यों तेरी खुदकुशी हमें बुजदिली लगे...।।
📝AFसर©️-
हमें नहीं पता,
तुम लापता हो,
पता तो करते
अपनी बुजदिली का।
🙄🙄🙄🙄-
ज़िंदगी जीनी है तो ज़िंदा दिली से जियो;
बुजदिली में क्या रखा है!!
सपने पूरे करने का दम और हौसला रखो;
ख़ाली देखने में क्या रखा है!!-
जब बजा रहा था सीटी तब तुम कहाँ थे
जब पड़ी थी किसी की बुरी नज़र तब तुम कहाँ थे
आज जब मर गयी हूं तो सौदा कर रहे हो
जब लिखवा रही थी रिपोर्ट तब तुम कहा थे-