QUOTES ON #बालो_की_लट

#बालो_की_लट quotes

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7 MAY 2020 AT 20:32

अब तो सफेदी की चमक आने लगी है मेरे बालों से

साफ दिखने लगी है थकन मेरे माथे की खालो से


बूढ़ा बदन देख मुझसे किनारा कर रहे हो जवान बेटों

कभी तुम्हारी ही तरह आती थी चमक मेरे गालो से

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26 NOV 2020 AT 7:57

उलझी हुई दो बालों की लट, उन्हें बहुत परेशान करती है,
जब सँवारी मैंने वो लट, उलझने तमाम मेरी सुलझ गई..!!

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27 APR 2020 AT 16:48

वो मेरे पास आके सटकर बैठ गई,
मैंने उसकी नरम हथेली अपने हाथों में ले ली,
उसके बालों से मोगरे की जो खूशबू आ रही थी
उस धीमी खुशबू को मैंने अपने भीतर समेट लिया...
वो अपनी बातों से मेरे दिल के कागज पर नज़्म लिखे जा रही थी....
मैं सुने जा रहा था,
खोए जा रहा था कोई मधुर संगीत हो जैसे...!!
और बाहर बारिश उसकी इसी नज़्म को सुनके बरस रही थी.....♥️

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5 JAN 2019 AT 10:40

बालों में लगे फूल भी तुम्हें देख कर इतरा जाते हैं ....
पर एक तुम हो जो समझते नहीं,
कि हम तुम्हें देखकर क्यों मुस्कुरा जाते हैं.....

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26 NOV 2020 AT 7:31

जिस दिन वो अपने बाल खोलकर आती हैं,
ना जाने कितने दिलों को कैद करके ले जाती हैं.
नागिन जैसे तुम्हारी जुल्फे जब लहराती है,
ना जाने कितने दिलों पर कहर बरसाती है.

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5 JAN 2019 AT 11:59

ऐसे उलझा दिल हमारा जैसे तेरी जुल्फों के सुमन
होठ मुस्कुराये या न मुस्कुराये हर सूँ मुस्कुराता है मेरा मन!!

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7 DEC 2020 AT 19:36

अबतक गई नहीं है ख़ुशबू मेरे हाथों की,
जब से सँवारी है लट तेरे बालों को की..!!

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14 APR 2021 AT 12:20

यूँ खुले बाल तो अच्छे हैं
पर मेरा कहा मानो
जूड़ा बाँध लिया करो,
तुम्हारे खुले बाल
मुझे अलंकृत करता तो है
पर हम कपटी पुरुष
वासना के चंगुल में
तुम्हारे खुले बाल को
सम्प्रेषित करते हैं
तुम मानो या न मानो
इन बालों के सोभनियता को
हम छलते हैं,
तृष्णा के उद्धभाव से
तुम्हारे अंग-अंग को
बहशी बन काटते हैं।
क्षुब्ध नयनों से तारते हैं!
तुम्हें भोग की बस्तु मान
टूट पड़ते हैं!
फिर तुम हारकर जूड़ा बाँधते हो
मैं चाहता हूँ ये खुले बाल
खुले न रहे!
मैं बहशी न बन पाऊँ
तुम लाज को
अपना आभूषण
बना लो...
तुम जूड़ा बाँध लो

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6 AUG 2020 AT 21:53

ऐ हवा तुझे क्या मालूम कितनी देर सजी थी वो,
तूने तो पल भर में आकर बिखेर दिये बाल उनके..!!

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5 OCT 2020 AT 16:26

वो अपनी जुल्फ़े संवारती रही!
वो अपनी ज़ुल्फो को इस तरह से सवांरती
रहती है, और उसके इस अंदाज़ को कोई
निहारता रहता है, उफ़्फ़ ये जुल्फें उसके
चेहरे की चार चाँद लगा देते है।

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