QUOTES ON #बहूऔरबेटी

#बहूऔरबेटी quotes

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19 NOV 2019 AT 8:31

वृद्ध माता-पिता के बुढ़ापे
में असली सहारा एक
अच्छी बहू ही होती है ना कि बेटा....

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20 JUL 2021 AT 22:49

**...बेटी से बहू तक का सफर....**

बहुत मुश्किल होता है अपनी पहचान मिटा कर किसी, दूसरे के रंग में रंग जाना,
कभी बेटी बन के खिलना तो कभी बहू बन के दिल को समझाना।।

नहीं करनी मुझे शादी ना होना पराया है,
कैसे दूर रहूंगी तुम सबसे ये सोच आंख भर आया है।

बहुत सुना है दुनिया से यह रीत पुराना निभाना पड़ता है...!!
एक दिन हर लड़की को अपने घर छोड़ जाना पड़ता है!

क्यों बदलने पड़ते हैं अरमान हमारी,
क्या इतनी सस्ती है पहचान हमारी,
हम बिक से जातो हैं अपनी पहचान देकर,
और लोगों ने पूछा क्या बहू लाई दहेज़ में लेकर...

क्यूं हम सब लड़कियों को ये सब त्यागना पड़ता है,
बेटी से बहू क्यों बनना पड़ता है....!

मां तुम खूब समझती हो,
जो आभूषण जहां के लिए बना हो वही जचता है...
नए लोगों के बीच जगह बनने में थोड़ा वक्त तो लगता है।।

तेरी सारी बातों को गाठ भर के ले आई थी,
पर ना जाने क्यूं मैं इस घर में भी मैं ही पराई थी।।

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24 APR 2020 AT 7:32

चाबी दो घरों की थी
उसके पास,
पर मकान दोनों ही
किराये के थे !!

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9 JUN 2020 AT 20:55

क्या कहा:
बहू बेटी सी‌ नहीं होती?
यूं कहो तुम्हें बहू में बेटी नहीं दिखती।
बेटी को हल्का ज़ुकाम होता था,
तो परेशान होती थीं ना,
हर वक़्त उसके पास बैठे रहतीं थीं ना।
फिर बहू का बीमारी तुम्हें ढोंग क्यूं लगा?
बीमारी बहू का झूठा रोग क्यूं लगा?
बेटी के बीमार होने पर दामाद उसका मदद करता है,
तो अच्छा लगता है ना।
लेकिन बहू के तबीयत बिगड़ने पर, बेटा मदद करें,
तो तुम्हें खलता है ना?
कहती हों बहू कभी बेटी नहीं बन सकती,
कभी बहू बेटी जैसी नहीं हो सकती।

सच तो ये है,
तुमने बहू को बेटी सा ममता दिया ही नहीं।
कभी बहू को बेटी सा प्यार दिखाया ही नहीं।
हर सास की एक ही कहानी है:
रहे बेटी बनकर रानी,
और बहू बनी रहें नौकरानी।।

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17 MAR 2021 AT 13:21

मुझको बहुत प्यार दिया
मेरी सासू मां ने मुझको बहुत प्यार दिया।
अपने जान से प्यारे बेटे को मुझे हंसी खुशी सौंप दिया।
अपनी कुशल गृहस्ती को मेरे हाथों में रखकर आशीर्वाद सौ सौ बार दिया।
अपना सारा घर संसार मुझ पर वार दिया।
घर में कदम रखते ही लाड प्यार और आशीर्वाद दिया।
घर में छोटी बहू थी मै मेरी गलतियों को बचपना समझा कर माफ किया।
एक कोमल लड़की को कुशल ग्रहणी का अवतार दिया।
मुझ में साहस भरकर मेरा मार्गदर्शन हर बार किया।
मेरी सासू मां ने मुझको बेटी से बढ़कर प्यार दिया।
बाहर से दिखती थी जितनी सख्त अंदर से उतनी ही कोमल थी।
मन में प्यार बहुत था लेकिन शब्दों में ना कह पाती थी।
उनकी भावनाओं को मैं हर बार न समझ पाती थी।
जब परिणाम सामने आता था तब ही मैं उनकी भावनाओं को जान पाती थी।
सास बहू के इस रिश्ते में बहुत ही गहराई थी।
काश हर कोई समझ पता वह भी इस घर में कभी बहू बनकर आई थी।
आज मां सा प्यार देकर वह सासू मां कह लाई थी।
पोते की जन्म लेते ही लाख बलाएं उतारी थी।
कुल वंश बढ़ाने वाली लक्ष्मी कह कर मेरा मान बड़ाई थी।
मूल से ज्यादा प्यारा होता है ब्याज यह बात आज समझ में आई थी।
जाओ मेरी सखियों काजल की डिबिया ले आओ,
सास बहू के प्यारे रिश्ते को काला टीका तो लगाओ।
सासू मां ने मुझको बहुत प्यार दिया।
(स्वर्गीय श्री लालमणि हुकुम सिंह यादव को समर्पित यह कविता)
नीलम सर्वेश यादव

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26 OCT 2020 AT 2:58

जमाना ख़राब कर रही हैं 
ये बेटियां नवाब की,

ना सर पे लाज का दुपट्टा 
ना फुर्सत है हिजाब की.

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19 SEP 2020 AT 20:57

कड़वा हैं लेकिन सच हैं,,
गलतियां बहू, बेटी दोनों से होती हैं..!
बेटी की छुप जाती हैं,
बहू की छप जाती हैं..!!

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15 AUG 2020 AT 6:54

जिस दिन ये पायल ससुराल में अपनी मर्जी
से इन बारिश की बूँदो को महसूस करे
सही मायने मे वो दिन लड़कियो के लिये
स्वतंत्रता दिवस होगा.

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11 NOV 2021 AT 18:10

बस कहने से बहू बेटी नही बनती
उसकी बेड़ियां भी तोड़नी पड़ती है

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23 JAN 2021 AT 21:20

बड़ी गज़ब की रचना हूँ मैं
भगवान बेटी बनकर भी पराई हूँ
और बहू बनकर भी !

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