न बहसबाजी, न प्रतिक्रिया , न ही कोई स्वांग ,
मेरा मानना है शांत हो जाना ही ,
किसी अनादर का उत्तम उत्तर हो सकता है।
जय श्री कृष्ण 🙏
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निरंतर एक मुखड़े पे मुखड़ा लगते है लोग ,
अपनी असलियत छिपाते है ।
हमे अपना बना कर ,
बस काम निकलवाते है लोग।
कभी जो जरूरत पड़ जाए हमें उनकी ,
तो बहाने हजार बनते है लोग।
कहने को तो दोस्त है ये हमारे,
पर रिश्ता कहा निभा पाते है लोग।
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इतना आसान है क्या?
निरंतर प्रयास कर पाना
तुम्हारे दिए घाव को सहना
और मुस्कुरा कर रह जाना
इतना आसान है क्या?
तुम्हारी बेवफाई को भूलकर
फिर तुमसे बात कर पाना
इतना आसान है क्या?
उन घावों का भर पाना
जो तुमने दिए हैं
इतना आसान है क्या?
अपने आत्म सम्मान को
तुम्हारे लिए गिरवी रख पाना
इतना आसान है क्या?
दिल से तुम्हारी यादों को निकाल पाना
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कितनी ही बातों को हम मन में छुपा लेते हैं,
मुस्कुराहट के पीछे सारे गम छुपा लेते हैं ।
लेकिन जब बात आ जाए स्वाभिमान पर
तब हम सामने वाले को उसकी औकात याद दिला सकते है ,
लेकिन कभी-कभी कुछ रिश्ते से बाहर आ जाना ही अच्छा होता है।
इसे घमंड मत समझना मेरा ,
यह मेरा स्वाभिमान है।
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हमने दोस्ती निभाई और तुमने
मजबूर कर दिया हमें ,बदलने के लिए।
मुस्कान चेहरे की अक्सर वही छीन लिया करते हैं, जिन्हें हम बता दे ,कि आप हमारे लिए कितने जरूरी है।
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कुछ फसलें रखिए अपने रिश्तों के बीच
बदलने वाले अक्सर अपने या
दिल के बहुत करीब होते है।-
खालीपन है पर अच्छा है
उन रिश्तो से, जिन पर तुमको नाज नहीं ,
जिस पर कल भरोसा था ,पर आज नहीं।
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मैंने छोड़ दिया उन लोगों का साथ
जिनको जरूरत तो थी मेरी
पर कद्र न थी।
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चांद चकोर हुआ हैं मन आज मेरा
जब लेती हूं तेरा नाम पिया जी।
आज सजी हूं दुल्हन की तरह
आया है फिर करवा चौथ का त्योहार पिया जी ।
ना मांगू कोई महंगा उपहार पिया जी ।
रख लेना मेरे विश्वास का सम्मान पिया जी।
मेरी आखरी सांस तक इस सिंदूर का मान
क्यों कि तुमसे ही तो है मेरा संपूर्ण संसार पिया जी ।
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दो नयनों का श्रृंगार ही काफी है
तुम्हें अपना बनाने के लिए।
तेरे अधरों पर अधिकार ही काफी है
तेरी बन जाने के लिए।-