तुम ये समझते हो के जिस्म दिखा कर तरक़्क़ी हो जाएगी
तो वो तरक़्क़ी नहीं बल्कि तुम्हारे माँ बाप की बदनामी है-
तारीफ तो बड़ी दूर की बात है...
तूम तो तोहमत के लायक़ भी नही हो...
मेरी मोहब्बत तो क्या...
तुम किसी और कि नफ़रत के लायक भी नही हो...-
जिन्दा ही मार देती हैं बदनामी इंसान को..
फिर मौत का ख़ौफ़ नहीं रहता उस इंसान को..-
कुछ सजा हम रख लेते हैं, कुछ सजा तुम भी रख लो ना!
सजा में मुझे जुदाई मिली ,बदनामी तो तुम रख लो ना!-
वो जिसको रखना था महफूज़, इश्क़ हमारा ।
शहर भर में अब, बदनामी के पर्चे बाँट रहा है ।।-
गुनाह किसी और का,
सजा जिंदगी भर पाती है,
बदनामी का डर लिए वो जिंदगी बिताती है।-
यूं तो मोहब्बत में बड़ी-बड़ी बातें
बहुत करते हैं लोग,
बात जब रिश्ते निभानी हो
दूसरों के ऊपर बदनामी का ठीकरा फोड़ जाते हैं लोग..।-
बदनामी के डर से इश्क़ छुपा लिया हमने
जिस दिल में मोहब्बत थी उसके लिए बेशुमार
उसी दिल में मोहब्बत को दफ़ना दिया हमने-
बात आज भी आपसे,
बडी प्यारी होती...
अगर बात करने जैसी,
आपमे कोई बात होती ll
बातो बातो मे बता दिया आपने...
बाते करने का तरीका,
संभल गया मै तभी...
नही तो हो गया था मुझे,
आपसे बात करने का फोबिया ll
अब तो..
मेरे बातो का बोझ,
और बातो से बदनामी...
सून ली है मैने,
आपही के जुबानी ll
अब फिर बातो से ना बढाओ,
अपनी नजदीकीया...
अच्छी है थोडी इसमे बेताबिया ll
क्यूकी.., किसिके आने से..
लौट आई हे मेरे जिंदगी मे,
ढेर सारी खुशिया ll
(Shubham Deøkar)-