कोशिशें लाख की मोहब्बत को बचाने की मेने... मेरी हर कोशिश नाकाम हो गयी... जो फ़साने कहे थे मेने उसकी वफाओ के मेरी हर झूटी बात सरेआम हो गयी... कभी जानी जाती थी वो मेरे नाम से मुझसे दूर क्या हुई बदनाम हो गयी... ख्वाहिशे बहुत बड़ी थी उसकी मैं रंक था.. पूरी ना कर सका.. देखो वो किसी रईश के आगे नीलाम हो गयी...
वो बीते दिन...वो ज़माना ढूंढता हूँ.... मैं उससे मिलने का रोज़ नया बहाना ढूंढता हूँ.... और.. दीवानी हैं वो जिस शख़्स की... उसमे में मैं..मुझसा दीवाना ढूंढता हूँ...
की मेरी शख्शियत को किताब ना बनाओ अखबार ही रहने दो.. मैं बेकरार हु .. मुझे बेकरार ही रहने दो... माना मजदूर निकले हम मोहब्बत में.. वो जमींदार थे .. उन्हें जमीदार ही रहने दो...
वो प्यास गले की... तड़प पेट की... किसी ओर के लिए भी सहोगी क्या...???? जैसे थी आज मेरी... वैसे किसी ओर की बाहों में भी रहोगी क्या....??? आज ही कहा था तुमने... बहोत प्यार करती हूं तुमसे... किसी ओर से भी कहोगी क्या..??? ये सब छोड़ो..आज जिसकी हो.. उसकी हमेशा बन कर रहोगी क्या..????