दीवानी सी चलती दिखी....
मस्तानी सी मचलती दिखी...
हिरनी सी आँखे...चेहरे पर नूर दिखा....
ज़रा जा कर देखो ...रोहिणी हैं क्या...???
और ...वो दावा करती फ़िर रही हैं...
सारे जमाने मे...
की महाराज को वश में कर लेगी....
ज़रा जा कर पूछो उससे...
वो कोई अप्सरा मोहिनी हैं क्या....-
कोशिशें लाख की मोहब्बत को बचाने की मेने...
मेरी हर कोशिश नाकाम हो गयी...
जो फ़साने कहे थे मेने उसकी वफाओ के
मेरी हर झूटी बात सरेआम हो गयी...
कभी जानी जाती थी वो मेरे नाम से
मुझसे दूर क्या हुई बदनाम हो गयी...
ख्वाहिशे बहुत बड़ी थी उसकी
मैं रंक था.. पूरी ना कर सका..
देखो वो किसी रईश के आगे नीलाम हो गयी...-
वो बीते दिन...वो ज़माना ढूंढता हूँ....
मैं उससे मिलने का रोज़ नया बहाना ढूंढता हूँ....
और.. दीवानी हैं वो जिस शख़्स की...
उसमे में मैं..मुझसा दीवाना ढूंढता हूँ...-
बिना पंखो के उड़ने वाला... परिंदा हूँ मैं....
तुम जानते नही कितना बड़ा... दरिंदा हूँ मैं...-
तारीफ तो बड़ी दूर की बात है...
तूम तो तोहमत के लायक़ भी नही हो...
मेरी मोहब्बत तो क्या...
तुम किसी और कि नफ़रत के लायक भी नही हो...-
मरीजें इश्क़ हूँ.. मैं
दवा ...दवाई... दवाखाना कहाँ हैं....
मरीजें इश्क़ था ...मैं
ज़ाम....शराब...मयख़ाना कहाँ हैं...-
की मेरी शख्शियत को किताब ना बनाओ
अखबार ही रहने दो..
मैं बेकरार हु ..
मुझे बेकरार ही रहने दो...
माना मजदूर निकले हम मोहब्बत में..
वो जमींदार थे ..
उन्हें जमीदार ही रहने दो...-
यूँ ना समझ पाओगे अल्फाज़ो को मेरे...
मेरी.. शायरियां समझने के लिए.. दिल तुड़वाना पड़ता हैं....-
तुम भूल गयी.... मैं कैसे भूल जाऊँ....
तुम फ़रेबी थी...
ये ..कैसे झुठलाऊ...
और हाँ..
मुझे मालूम हैं..
तुम्हे इश्क़ नही रहा मुझसे...
लेकिन इसे👉❤ कैसे समझाऊँ...
ये(दिमाग) जानता हैं...
मैं लायक नही तुम्हारे...
लेकिन इसे👉❤ कैसे बताऊँ-
वो प्यास गले की...
तड़प पेट की...
किसी ओर के लिए भी सहोगी क्या...????
जैसे थी आज मेरी...
वैसे किसी ओर की बाहों में भी रहोगी क्या....???
आज ही कहा था तुमने...
बहोत प्यार करती हूं तुमसे...
किसी ओर से भी कहोगी क्या..???
ये सब छोड़ो..आज जिसकी हो..
उसकी हमेशा बन कर रहोगी क्या..????
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