मैं अपनी हर एक झूठी बात में सच्चा था...
हां ये उन दिनों की बात है,
जब मैं बच्चा था...-
ज़िम्मेदारियों को सर पे कुछ यूँ पड़ते देखा है,
अपने अंदर के बच्चें को मैंने बचपन मे ही मरते देखा है।।
ज़िन्दगी भी अब कुछ इस तरह से खेल खिला रही है,
बचपन मेरा छीन कर मुझें बचपने से रिझवा रही है।।-
उम्र में छोटा हूं,पर तजुर्बा बहुत रखता हूं,
मुझे आंकने कि गलती मत करना,बस देखने में बच्चा लगता हूं।-
बच्चों वाली ज़िन्दगी,
हर किसी को पसंद है,
पर हर कोई यहाँ,
बच्चा नहीं होता।
सच्चाई भरी ज़िंदगी में,
प्रेम की तिश्नगी में,
तलाश लो तुम ही,
हर कोई यहाँ सच्चा नहीं होता।।-
होड़ वाली दुनियाँ में एक बच्चा डर से गुम हो जाता है,
चंद लम्हो की साँसों पे कभी हल्का सा एक बस्ता भारी पड़ जाता है।।-
'बहती नाक' से 'बहती आँख' तक पहुँच ही जाते हैं
माँ बाप ने अपने बच्चों को बड़ा करके देखा है
-
उस घर मे दो बच्चे है।
एक स्कूल जाने वक़्त हर दिन रोता है।
एक पहले को रोते देख कर रो लेती है।-