आंखों में बहुत गहरे राज़ छुपाएं
देखा है लोगो को..
सामने प्यार जता पीठ पीछे बार करते
देखा है लोगो को...-
हम मुंह पर तारीफ, नहीं कर पाते हैं,
पर पीठ पीछे तारीफ खूब करते हैं..
और बुराई सीधे मुंह पर करते हैं,
लेकिन, पीठ पीछे बुराई नहीं कर पाते हैं..!-
"पीठ पीछे बोलना मेरी आदत नहीं और
मुँह पर सच सुनना शायद तुम्हें पसंद नहीं"।-
क्या सच और क्या है झूठ,
हर कोई पीठ के पीछे,
बदल रहा है अपना रूप,
इस मतलब की दुनियां में,
कहने को तो सब अपने है,
दिखते तो ये ऐसे है,
जैसे की फ़रिश्ते है ।
एक दिन सच्चाई,
उनकी भी सामने आएगी,
उस दिन दुनियां,
उनकी भी हिल जाएगी ।।
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पीठ पीछे कौन क्या बोलता है फर्क नहीं पड़ता
सामने किसी का मुंह नहीं खुलता इतना काफी है-
अब दिल नही करता किसी को अपना बनाने का
अब दिल नही करता किसी के करीब जाने का
मुखौटे पहन कर खुद को लोग छुपाते है यहाँ
अब दिल नही करता किसी से रिश्ते निभाने का
गले लगा कर फिर खंजर चला देते है लोग
अब दिल नही करता किसी को सिने से लगाने का
हर वक़्त मतलब के लिए इस्तेमाल करते है सब
अब दिल नही करता खुद को इस्तेमाल करवाने का-
दूसरों के लिए कौन सोचे यहाँ
ख़ुद से ही अब किसी को है फुर्सत नहीं
पीठ पीछे सभी करते हैं बुराई यहाँ
सामने कुछ भी कहने की जुर्रत नहीं।।-
मुझे गिराने की आपनों ने भी ठानी है,
कोशिश करते रहो, मैने हार कहां मानी है,-