मंदिर-मस्जिद को तो बस सियासतों ने बाँट रखा है
वरना जो वैष्णो देवी जा कर सर झुकाते है
उनको मैंने अजमेर की दरगाह पर सजदा करते देखा है।।-
Abhishek Raj
(Abhishek Raj-Abhi)
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आशिक़ हु आशिकी पर लिखता हूँ।
Joined 7 January 2018
22 MAR 2018 AT 23:43
20 DEC 2021 AT 22:52
तमाम ज़िन्दगी क्यों न अकेले कट जाए
मैं मर जाऊँ जो तेरा इश्क़ किसी मे बट जाए-
16 SEP 2021 AT 1:14
क्या था और क्या नही रहा
लोग हज़ार थे साथ कोई नही रहा
इस कदर मगरूर रहा दुनिया मे मैं
अब मुझमे मेरा कुछ बाकी नही रहा-
30 JUN 2021 AT 0:52
न जाने कितना ही झूठा वादा कर देते है लोग
कभी कभी जरूरत से जादा कर देते है लोग
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27 JUN 2021 AT 0:39
किस कश्ती पे बैठु की डूबने से बच जाऊँ मैं
सबको सम्भाल लूँ या खुद भी बिखर जाऊँ मैं-
1 MAY 2021 AT 1:49
सब कुछ हार गया अब लौट कर कहाँ जाऊँ मैं,
घर बिखरा बस्ती उजरी तिनका-तिनका फिर कहाँ से लाऊँ मैं।-
15 FEB 2021 AT 21:28
मेरे झुमके को कानों से लगाया है उसने
कुछ इस कदर इश्क़ निभाया है उसने-
31 JAN 2021 AT 22:58
क्यों इस रिश्ते को तुमने यूँही तोड़ दिया
जरूरत सबसे ज्यादा तेरी थी और तुमने हाँथ छोड़ दिया-