QUOTES ON #पहिया

#पहिया quotes

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16 MAY 2019 AT 20:56

अस्तित्व मेरा या तुम्हारा...
कब मिट जाए क्या पता...??
वक्त के पहियों तले...
कब कौन कुचल जाए क्या पता...??

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17 AUG 2020 AT 14:32

वक़्त का पहिया चला रे साथियों
वक़्त का पहिया
हम हौले हौले फिर गुलाम हुए
अंग्रेजी का जहर तन मन में घुला रे साथियों
हमारी चाल बदल गई
हमारे अंदाज बदल गए
हमारी संस्कृति को ये बाज लेे उडे
अंग्रेजी संस्कृति का भूत चड़ा रे साथियों
लंबे लंबे बाल
फैशन की बलि चढ़ें
साड़ी और सूट भी अग्नि में जले
सभ्यता के खोने का बिगुल बजा रे साथियों
माता पिता भी मोम डेड हुए
आपने हमारे लिए किया ही किया ऐसे सवाल किए
सम्मान की प्रथा भूल गए
संस्कारों की बलि हम खड़े हुए
नए नए वृद्धा आश्रमों का निर्माण हुआ रे साथियों
एक नवीन राह पर युवा पीढ़ी
अपनी ही दुनियां में मगन
परिवर्तन तो है अच्छी बात
पर न करो तो परिवर्तन का दुरुपयोग
सत्य को खोजने की हिम्मत तो करो
करो खुद से सवाल
क्या यह वही देश जिसके लिए
मरे भगत सिंह आज़ाद
आत्म विश्लेषण बहुत जरूरी रे साथियों



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2 DEC 2017 AT 18:55

घिस जाती हैं चुपचाप दोनों तरफ रिश्तों की कश्मकश मे अपनों के लिए,
पहिया दुनिया का तभी तो चल रहा है दो घर जोडती इस कडी की वजह से!

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11 MAY 2020 AT 22:16

रोटी का आकार पहिये सा होता है।
तभी लोग भटकते हैं रोटी की खातिर।

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4 OCT 2017 AT 21:07

दर्द के रिक्शे में बैठकर, जब भी यादें आती है..,
गमों का पहिया खुद-ब-खुद गति ले लेता है..!!

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5 FEB 2019 AT 19:48

एक पहिया तुम, और एक पहिया मैं हो जाता हूँ,
तुम्हारे हाथों को लेकर अपने हाथों में, घर सजाता हूँ,
चलते - चलते ज़िन्दगी की इस पथरीली सड़क पर,
मैं, मैं नही रहता, मैं तुम हो जाता हूँ, तुम हो जाता हूँ!

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13 JUL 2021 AT 18:18

प्रिय पहिये

'दुनिया का बोझ तुम उठाते फिर भी ज़रा ना तुम घबराते'

तुम में ना जाने कहाँ से इतनी शक्ति आती है कि बिना किसी शिकायत, शर्त के इतना सहन करते हो, और उसके बदले में तुम क्या चाहते हो कोई तुम्हें गुस्से में लात ना मारे, पर तुम कुछ नहीं कह पाते उनको..!

आज मैं तुम्हारे साथ जिए दो संस्मरण तुम्हें लिख रहा हूँ, तुम बताना तुम्हें कौनसा अक्षर दर अक्षर याद है..!

पहला संस्मरण :
दिनाँक 22 दिसंबर 2008 समय सुबह के 9:20-25 के आसपास का जब तुमने ख़ुद पर पूरा दोष लेकर उस मासूम सी बच्ची को बचाया था मेरी बाइक के नीचे आने से, सर्दी की गुलाबी सुबह और गुलाबी नगरी की ठण्ड.. ऊऊऊऊऊ, गलती शायद मेरी थी कि उस ओर ध्यान ना गया पर तुमने फिसलते फिसलते उस बच्ची की रक्षा की, उसके लिए में तुम्हारा आभारी हूं, ऋणी हूँ..!

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2 DEC 2017 AT 19:24

दो घरों को अपनाती है, दो घरों को रोशन करती हैं,
बस वो एक चिराग है जो, एज़्ज़ तूफ़ान में भी दिन रात जलती हैं....!

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2 MAY 2019 AT 10:57

सोचा जिंदगी जी लें जी भर
फिर सोचा आज नही कल
वक्त का पहिया चलता गया
वो कल कभी न आया ..
आज और कल के फेर में
सपनो के महल ही ढ़ह गए
कितने काम अधूरे रह गए

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2 FEB 2019 AT 16:58

अगर होइत हमरो लग्गे पाँख
दूर निशाना, चौकन्ना आँख
खो जईतीं हम दूर गगन में
शांत चित्त प्रभु ध्यान-मगन् में।
दूर बदरिया के झकझोर
बरखा बुन्नी देवाइति छोर
जाके चूम लेतीं हम पहाड़िया
बीच जंगलिया, पेड़वा-डलिया
सुन के अइतीं समुन्दरवा के तान
हर लेतीं फिर सबकर दुख जान
पँखिया आपन फइला-फइला के
ऊर्जा देतीं भर, हताश के दिखला के
हम उड़ जइतीं फिर वो जगहिया
फिर का चक्का, फिर का पहिया
पर फइलईतीं, फिर संसार चदरिया
देख ना पाइत कउनो नजरिया
अगर होइत जे पाँख सवारियां
उड़ जईतीं फिर दूर नगरिया!!

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