दामन खाली है मेरा, खाली मेरे दिल के जज़्बात है।
कल तक जो मुकम्मल थे आज अधूरी वो बात है।
इश्क़ के जुमलों में तो अब दिखता ही नहीं मरहम।
बस काँच से हो गए इश्क़ की मौसम के सौगात है।
कि दोस्ती भी अब बस मतलब के लिए ही होती हैं।
दोस्त दोस्ती ये देखकर करते हैं कैसे तेरे हालात है।
अच्छे दिनों में सब लोग आकर मजलिश लगाते हैं।
बुरे दिनों में आकर देखकर चले जाते हैं औकात है।
दिल बड़ा और भरा हुआ होने से कोई फ़ायदा नहीं।
इनके लिए तो "जेब का भरा होना" ही बड़ी बात है।
वो बड़े है तो उनके सामने झुक कर ही रहना पड़ेगा।
उनके आगे-पीछे करने वालों को मिलती "खैरात" है।
मतलबपरस्त दुनिया में एहसानफ़रामोश ही रहते हैं।
उनके सामने हम सच्चे लोगों की क्या ही बिसात है।
तू तो ताउम्र "एकतन्हामुसाफ़िर" ही रह गया "अभि"।
क्या पता तुझपे मोहब्बत की कब होगी बरसात है।-
आशिर्वाद अनेक रूप में प्राप्त होता है -
यदि तुम उदार हो,आशिर्वाद तुम्हें समृद्धि के रूप में मिलता है।
यदि तुम परिश्रमी हो, आशिर्वाद तुम्हें खुशी के रूप में मिलता है।
यदि तुम आलसी हो, आशिर्वाद तुम्हें परिश्रम के रूप में मिलता है।
यदि तुम सुख के पीछे भागते हो, आशिर्वाद तुम्हें अनासक्ति के रूप में मिलता है।
यदि तुम वैरागी हो, आशिर्वाद तुम्हें आत्मज्ञान के रूप में मिलता है।
रजनी अजीत सिंह
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भाग्य भरोसे बैठ कर मन बावरा रॉय,
कर्म, कुशल परिश्रमी खूब करे एन्जॉय.-
आशा से भरे स्वतंत्र परिन्दे अथाह परिश्रम का पाठ सिखाते शान्ति दूत
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ये संसार उसका है जो परिश्रम करता है,
उसका नहीं जो परिश्रमी पर उंगली करता है |-
कितने कलाकारों को नहीं देखा गया,
कितनी रचनाओं को नहीं पड़ा गया।
कितने आंसू आपने यूं ही नजरअंदाज कर दिये,
इतने दुःख आपने कभी महसूस ही नहीं किये,
ये कलाकार और रचनाएं खोई है भीड़ में
कि कोई महसूस करें उन्हें भी और और देखे उनका परिश्रम,
सुख पाना इतना आसान नहीं होगा।
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पिता करता है काम बहुत
उसको नहीं मिलता आराम बहुत
निशब्द पसीने में बहता रहता है
गर्मी सर्दी सहज सहता रहता है
रात थका हुआ आता है
फिर भी खूब मुस्कुराता है
एक बात से कभी-कभी घबराता है
बच्चों को कभी ना अपना दर्द बताता है
वह घर को हर रोज सींचता है
बैल बीमार हो तो हल भी खींचता है
उसका हाथ पैर थोड़ा बहुत कटा रहता है
मैंने देखा बापू का धोती कुर्ता फटा रहता है
मेरे अंदर जो झलकती उनकी ही छवि है
कहते नहीं कुछ मगर बापू तो मूक कवि है !!-
"जो करने वाला है,
उसे पता है परिश्रम
क्या होता है?
हर चीज़ का मोल पता
होता है,
करने का तरीका अलग होता है।।"-
हम वो शेर हैं जो
वक्त का शिकार करते हैं ।
अपने परिश्रमी नाखूनों से
वक्त पर वार करते हैं।-