कुछ अपने हैं बहुत पराए भी हैं,
कुछ सपने हैं बहुत बताए भी हैं।
बस इतना हासिल हुआ मजहब में,
कुछ दफने हैं बहुत चिताएँ भी हैं।।
-ए.के.शुक्ला(अपना है!)
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सब लोग साथ है
मगर वक़्त ही है जो सच का परदा उठाता है
कौन अपना हो कर भी गैर है
और कौन बेगाना हो कर भी अपना है
एक वक़्त ही है जिससे इंसान की फितरत को
परखा जाता है ।-
ये जो अपने होते हैं ......जनाब
ये अपने क्यों नहीं होते .......?????-
गम तो नहीं है..
रूठकर आज जा रही हो जिंदगी
शायद कोई और दिल मे उतर गया होगा-
पराये लोग अपनों से भी ज्यादा करीब हो जाते हैं
सुख दुख को बांटते हुए अपना नसीब हो जाते हैं
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जिंदगी हमसे और हम ज़िन्दगी से पराये हुए
कभी जान था तेरी महफ़िल मे ,
पर आज मेहमान हम बिन बुलाये हुए
बरसों लग गए जिस पौधे को सींच कर पेड़ बनाने में
अब टूट रहे हैं उसी के पत्ते जलाये हुए जिंदगी हमसे और हम ज़िन्दगी से पराये हुए !!
कभी मिलो फुर्सत से फसानो का दौर चले
बड़े दिन हुए किसी को हाल-ए-दिल सुनाये हुए
यक़ीनन मुझे अंधेरों ने घेरा हुआ है मगर
मैं फिर भी बैठा हूँ मन में आस का दीप जलाये हुए
जिंदगी हमसे और हम ज़िन्दगी से पराये हुए !!
मेरी कहानी तो सिमट जायेगा चंद अलफ़ाज़ भर में
फिर क्या सुनेंगे लोग दूर दूर से आये हुए
चलो ये भी खूब रहा कि तुम्हारा सहारा मिला "मुझ" को,
नहीं तो मुमकिन नहीं था जीना, अपना बोझ उठाये हुए
जिंदगी हमसे और हम ज़िन्दगी से पराये हुए"""
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शायद अब तुम,,जब तक कुँवारे रहोगें तब तक हमारे रहोगें,, उसके बाद तो तुम भी पराए रहोगें💔
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ज्यादा अपनापन दिखाने वाले ,
एक दिन जता ही देते है कि वो पराये है ...-