परिवार के संग रोशनी का उत्सव मनाएं...
आप सभी को दीपावली की शुभकामनाएं...-
मैंने पटाखे,मिठाई, फुलझड़ियां मँगा लिए,
अब तुम "क्या ख़रीदने निकली हो",मेरी प्रिय,
दीप-फूलों से घर सजाया मैंने तेरे लिए,
पधारो अब ,इस आँगन को प्रफुल्लित करने के लिए।-
चलो छोड़ो यह सियासत
यह मज़हब की बातें
याद करते हैं
तेरी ईद पर मेरी सिवईंया
मेरी दिवाली पर तेरे पटाख़े
- साकेत गर्ग 'सागा'-
गद्दारों के मंसूबे..फेल हो गये..
पाक की जीत में जैसे ही उन्होंने पटाखे फोड़े
तुरंत देशभक्तों ने पटाखों की झड़ी लगादी..
हॉकी में दे दनादन..हार का बदला साथ की साथ
(गद्दार खुदयी कनफुजियाए पड़े हैं..)
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इस दिवाली जलाना एक दीप,
रौशन करना उन पत्थर जैसे लोगों को,
आशा की लौ से तेल भरना,
उन घने अंधेरे रास्तों को,
कल तुम एक अमीर खानदान के दौलत थे,
तो आज तुम किसी घर की दिवाली बन जाना,
बिन पटाखों के, फूलझड़ियों के,
तुम राम राज्य ले आना,
राम के फिर जन्मभूमि अयोध्या लौटने पर,
तुम corona warriors के लक्ष्मण बन जाना,
काँटों से भरे रास्तों में,
तुम गुलाब बन जाना,
दिवाली के रंगों में डूब,
तुम किसी का इमान बन जाना,
ऊँच-नीच, भेदभाव को मिटाकर,
सब एक साथ दिवाली मनाना..-
पटाखें बोले आज मुझे मत जलाना,
सबके साथ मिलकर दिवाली मनाना,
बुझ न जाए वो दीया जो रात भर जलता रहा,
अंधेरे में भी वो आशा की किरण बन जगमगाता रहा..-
पापा !
आप इस बार फिर नही आये ?
न हमने पटाखे फोड़े न दिये जलाये
पापा क्यों नही आये ?
माँ भी गुमसुम सी बैठी है
दादी माँ भी चुपचाप हैं
पापा बतलाओे क्या हमसे गुस्सा आप हैं ?
घर मे इस बार मिठाई भी नही आई है
न मेरे कपड़े , न बिट्टू की गुड़िया
न ही पूरी पकवान माँ ने बनाई हैं
पापा मेरा ये ख़त पाकर
छुट्टी लेकर आ जाना
दादी , दादाजी और माँ को
एक दम से चौका देना
पापा इस बार आ जाओ न ..-
साल बाद आज, दीपावली है आई ..
आपको देते हैं सपरिवार, हम बधाई ..
आप खाइएगा, तरह तरह की खूब मिठाई ..
घरों - बाजारों की रोशनी ने, बहुत रौनक है जमाई ..
पटाखों की मची है धूम, अनार के साथ फिरकिनी भी है आई ..
दुआ के साथ मिट्टी के दिए खरीदने से, उन बच्चों की भी हो रही कमाई ..
दिए खरीदने कि मेरी बात मान कर, आपने खूब दोस्ती निभाई ..
दीपों के पर्व दीपावली की आप सब को दिल ❤️ से बहुत बधाई बहुत बधाई बहुत बधाई !!-
पटाखों के साथ इस दिवाली बुराईयाँ भी जल जाए,
बड़ा धमाका न हो बस किसी की खुशियाँ लौट आए..-
राधा बोली श्याम से, आ रही दीवारी
ले आना बाजार से, थोड़े रंग पिचकारी
ये सुन कर गोपियाँ रह गयी थीं दंग
दीवाली पर खेलेंगी, किसके संग ये रंग
देख के गोपियन का मुखड़ा, राधे श्याम मुस्काये
कहा किसी से कुछ नहीं, रंग पिचकारी ले आये
सुनी जब ये बात, दौड़े आये दाऊ और मैया
बोले राधा क्या हुआ, ठीक तो है कन्हैया
अब दीवाली नहीं मने, बम पटाखों संग
पटाखे हुए है बैन, तो खेलेंगे हम सब रंग
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