उसे ग़ुरूर है अपनी मर्दानगी पर औरत पर हाथ उठाता है
औरत जो कमज़ोर दिखाकर वो खुद को मर्द बुलाता है-
- आज वो दिखाई नही दे रहा ?
- कौन ?
- अरे वही, जो काम करता है तेरी दुकान पर, इनको आजकल "जात" से बुलाओ तो बुरा मान जाते हैं, सरकार मुकदमें चलाती है, सो अलग !
- तो नाम से बुलाओ ना आप, नाम भी तो है उसका।
- हुँह, नाम से बुलाऊँ, महाराज है क्या वो कहीं का, नीच जात को सिर पर बैठाओ तो कान में मूत देते हैं। उच्च जाति के दम्भ में उम्रदराज "मास्साब" ने चुटिया पर हाथ फेरकर अपने मित्र को ज्ञान देते हुए आगे कहा, इनको काम पर रखो और इनकी औरतों को बिस्तर पर, बस इतना ही, इससे ज्यादा समाज सुधारक बनने की जरूरत नही, और मैंने तो सुना है, इसकी लुगाई तो है भी बड़ा टंच माल, कभी व्यवस्था बैठी नही क्या.....
अपने स्वार्थ की बात आते ही, विरोध की ध्वनि धीमी पड़कर, सुर से सुर मिलने लगे।
- आज आपने आंखे खोली है, अब करता हूँ कोशिश पटाने की।
- पटाने की कोशिश को कौनसा वो हीरोइन है, जिस दिन घर पर कोई ना हो, सफाई के बहाने बुलाकर पकड़ लेना बस....
ठहाकों से दुकान गूंज उठी, काउंटर के ऊपर लगी तस्वीर में "भगवान" और भी गम्भीर दिख रहे थे, मानो अपने बनाए "इंसान" पर अफ़सोस हो रहा हो उन्हें...-
नंतर मला काय द्यायची ती शिक्षा बिनघोर द्या
फक्त माझ्या हाती त्या नराधमाच्या फाशीचा दोर द्या-
ऊपरवाले को क्या दोष दें हम हे बंधु वर।
नीचे वालों ने बड़ी ही नीच हरकत की है।-
किसी को नीचा दिखाना, और
खुद को नीच साबित करने में
कोई फर्क नहीं है।-
जिंदगी में आपका चाहे किसी भी तरह का,
स्वभाव क्यों ना हो |
कितने भी मित्र- शत्रु क्यों ना हो,
कितना भी मान -अपमान , उच-नीच , कम- ज्यादा ,
क्यों ना आए |
लेकिन बस ऐसा कुछ भी काम ना करें कि,
किसीका भी विश्वास ना टूटे जाए आप पर का,
और
किसी के भी नजरों में भी मत उतर जाना |
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