भगवान हो इसलिए माफ कर दिये जाते हो बार - बार।
इंसान होते तो हर गलती की सजा सुनाई जाती।
बेवक्त किसी कि मौत को लोग तुम्हारी मरजी बताते हैं।
कमाल है इंसान खुद को तुम्हारे बंदे बताते हैं।
भगवान हो इसलिए तुम्हारे बँदो कि मौत पर भी
तुम्हारे दर पर दीये जलाये जाते हैं।
तुम्हारे बँदे ने किसी कि जान ली होती
तो उसके घर आग लगा दी जाती।
भगवान हो इसलिए माफ कर दिये जाते हो बार - बार।
इंसान होते तो हर गलती कि सजा सुनाई जाती।-
चलती रहेगी कलाई पर बँधी घड़ी तब भी,
जब कलाई कि नब्ज थम जायेगी़..............-
गलतीयों पर डाँट लगाना भी जरूरी है
तुम्हे यही सिखाया था।
हाँ तुम्हारी गलतीयों पर जब मैंने तुम्हे सबक सिखाया था।
तुम मन में वही चोट लेकर जब उखड़े - उखड़े फिरते थे।
फिर से कोशिश करो का मरहम भी मैंने हि लगाया था।
लेकिन तुम फिर भी समझ ना पाये
जो विषय मैंने तुम्हे समझाया था।
बार - बार फिर बार - बार वो विषय मैंने दोहराया था।
वो मेरी कोशिश तुम्हे फिर भी दिखी नहीं शायद,
तुमने विषय से मन हटाया था।
तुम अनुतिर्ण हुए मैं अनुतिर्ण हुई
तुम्हे अब भी समझ नहीं आया था।
वो रिश्ता तुम्हारा मुझसे मन ही मन बहोत अनोखा था।-
जो वक्त पर दे सकते थे " साथ " उन्होंने भी नहीं दिया
एेसे सभी रिश्तों को आखरी सलाम। 🙏-
एक सर पर छत टपक रही थी।
एक सर को छत के गिर जाने का डर था।
एक सर पर छत नहीं थी।
और एक सर छत तले बारिश का मज़ा ले रहा था।-
एक सर पर छत टपक रही थी।
एक सर को छत के गिर जाने का डर था।
एक सर पर छत नहीं थी।
और एक सर छत तले बारिश का मज़ा ले रहा था।-
अब फुरसत कहाँ है कि, खुद के लिए फुरसत निकाले।
हमने आजकल हमारे हिस्से कि फुरसतों को फुरसत दे
रखी है।-
हम मसरूफ़ रहे अपनी उलझनों को सुलझाने में,
और उन्होने हमें जमाने भर मगरूर,
मशहूर कर दिया।-