Priyanka Mazumdar   (Priyanka Mazumdar)
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Joined 27 March 2019


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27 NOV 2022 AT 20:48

भगवान हो इसलिए माफ कर दिये जाते हो बार - बार।
इंसान होते तो हर गलती की सजा सुनाई जाती।
बेवक्त किसी कि मौत को लोग तुम्हारी मरजी बताते हैं।
कमाल है इंसान खुद को तुम्हारे बंदे बताते हैं।
भगवान हो इसलिए तुम्हारे बँदो कि मौत पर भी
तुम्हारे दर पर दीये जलाये जाते हैं।
तुम्हारे बँदे ने किसी कि जान ली होती
तो उसके घर आग लगा दी जाती।
भगवान हो इसलिए माफ कर दिये जाते हो बार - बार।
इंसान होते तो हर गलती कि सजा सुनाई जाती।

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9 SEP 2022 AT 20:19

चलती रहेगी कलाई पर बँधी घड़ी तब भी,
जब कलाई कि नब्ज थम जायेगी़..............

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4 SEP 2022 AT 3:17

गलतीयों पर डाँट लगाना भी जरूरी है
तुम्हे यही सिखाया था।
हाँ तुम्हारी गलतीयों पर जब मैंने तुम्हे सबक सिखाया था।

तुम मन में वही चोट लेकर जब उखड़े - उखड़े फिरते थे।
फिर से कोशिश करो का मरहम भी मैंने हि लगाया था।

लेकिन तुम फिर भी समझ ना पाये
जो विषय मैंने तुम्हे समझाया था।
बार - बार फिर बार - बार वो विषय मैंने दोहराया था।

वो मेरी कोशिश तुम्हे फिर भी दिखी नहीं शायद,
तुमने विषय से मन हटाया था।
तुम अनुतिर्ण हुए मैं अनुतिर्ण हुई
तुम्हे अब भी समझ नहीं आया था।

वो रिश्ता तुम्हारा मुझसे मन ही मन बहोत अनोखा था।

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2 SEP 2022 AT 22:41

वो उपलब्धियाँ जो पहले से उपलब्ध हैं, उपलब्धियाँ नहीं हैं।

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21 AUG 2022 AT 11:44

जो वक्त पर दे सकते थे " साथ " उन्होंने भी नहीं दिया
एेसे सभी रिश्तों को आखरी सलाम। 🙏

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1 AUG 2022 AT 10:41

बेरोजगार को बेरोजगार कहना आसान है,
पर काम देना मुश्किल।

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30 JUL 2022 AT 23:48

एक सर पर छत टपक रही थी।
एक सर को छत के गिर जाने का डर था।
एक सर पर छत नहीं थी।
और एक सर छत तले बारिश का मज़ा ले रहा था।

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30 JUL 2022 AT 23:47

एक सर पर छत टपक रही थी।
एक सर को छत के गिर जाने का डर था।
एक सर पर छत नहीं थी।
और एक सर छत तले बारिश का मज़ा ले रहा था।

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22 JUL 2022 AT 20:40

अब फुरसत कहाँ है कि, खुद के लिए फुरसत निकाले।

हमने आजकल हमारे हिस्से कि फुरसतों को फुरसत दे

रखी है।

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21 JUN 2022 AT 16:50

हम मसरूफ़ रहे अपनी उलझनों को सुलझाने में,
और उन्होने हमें जमाने भर मगरूर,
मशहूर कर दिया।

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