मुझे नहीं आता अलग अलग किरदार जीना,
हां मैं होंठो पे झूठी मुस्कान नहीं ला पाता,
मुझमें नहीं है तुम जैसा ड्रेसिंग सेंस ,
मैं कई दिनों तक सेव नहीं करता ,
नहीं आता मुझे अच्छा दिखना ,
मैं नहीं पहनता दिखाने के लिए कुछ भी ,
बस तन ढक लेता हूँ, मुझे नहीं पता
खुद को कैसे ब्रांड करना है,घटिया
सोच वालों तुम क्या मुझे कपड़ो से तौलोगे,
तुम राक्षसों की औकात नहीं है कि इंसानों को तौल सको,बड़ा फेमिनिज्म का ठेका ले रखा है न तुम लोगों ने , सालों घर में बहन बेटियों को दबा के रखते हो और खुद को फेमिनिस्ट कहते हो।
मैं नहीं हूं तुम्हारे स्टेटस का,मैं ब्रिटिश
एक्सेंट में अंग्रेजी बोलना नहीं जानता
मैं नहीं पीता शराब , मैं सुट्टा भी नहीं मारता
हां मैं शर्माता हूं , मैं लड़कियों से ज्यादा
नहीं घुलता मिलता , पर तुम्हारी तरह
मौके का फायदा तो नहीं उठाता ।
(Rest in caption)-
प्रेम। (महादेवी वर्मा को समर्पित)
इस नीरव रात्रि के मौन में
तुम सुनो तो कहूं मैं,
....कि प्रेम!
अतृप्त उर की तृष्णा ओं की
परिपक्व सी
एक ठौर है प्रिय,
प्रेम!
नेत्र समंदर से हरहरा कर ऊपर उठे
सुख-दुख के
उस उजले से मोती का
मौन सा
एक शोर है प्रिय।।-
एक नारीवादी पुरुष
भारतीय समाज में
हेय दृष्टि से देखा जाता है।-
तुम मुझे कभी खोना चाहती थी
ऐसा भी नही की तुम्हे मेरी चाहत कम थी
पर वो जो नारीवादी सोच वाली मुखौटा लगाए तुम्हारी कायरता है न, उसने तुम्हे छद्म नैतिकता और सबको खुश करने की लालसा के आवरण में ऐसा जकड़ा है कि तुम्हे "मक्कारिनी" बना दिया।
एकदिन बहुत पछताओगी!
#भक्क_मक्कारिनी😡💔👽-
जब एक "कठोर नारीवादी",
बनने की कोशिश करती है,
एक नटखट मासूम लड़की। कभी-कभी।
ट्रेन की जनरल डिब्बों में,
भीड़ भाड़ वाली बसों में,
मासूमियत से देखती है। कभी-कभी
अपने भारी बैग से परेशान,
नहीं मांगती मदद दोस्तों से,
कोई मुस्कुराकर हाथ देता है। कभी-कभी।
अकस्मात ढूंढती है पल्लू,
जेठ की तपती दुपहरी में,
अपने छोटे बच्चे के लिए। कभी-कभी।
प्रकृति की सम्मान में उसी क्षण,
समर्पित हो जाता है मेरा ह्रदय,
और तब एक मुस्कान आती है,
जिसे मैं आहिस्ते छिपा लेता हूं। कभी-कभी।-
"मर्दाना कमज़ोरी का इलाज़" से भरी पड़ी हैं शहर की दीवारें
और लोग कहते हैं कि औरतें कमज़ोर हैं-
नारीवादी होना सही है
पर इसका मतलब ये नहीं कि
बे-सिर-पैर की बातें करो।-
आत्मनिर्भर औरत जब उसे पसंद करने वाले पुरुष से पूछती है के मुझमे तुम्हे क्या अच्छा लगता है?
तब वह यह नही पूछ रही होती के उसकी आँखे कैसी है। उसके बाल कैसे है उसके होंठ कैसे है। वह चलती कैसी है वह उठती कैसे वह देखती कैसे है वह यौन संबंध में उसके साथ कैसे रहती है।
आत्म निर्भर औरत हमेशा यह जवाब चाहती है के वह पुरुष उसके जीवन संघर्ष को पसंद करता है वह उसकी बुद्धिमत्ता को पसंद करता है वह परेशानियो से जिस तरीके से लड़ती है वह उसे पसंद करता है वह उसके निडरता को पसंद करता है वह झूठ के समक्ष न झुकने की हिम्मत को पसंद करता है ।वह किसी पुरुष पर अपनी चीज़ों के लिए निर्भर नही है वह उसे पसंद करता है।
ऐसे पुरुष उस स्त्री का सम्मान और प्रेंम होते है।
-
आज के समाचार पत्र में दो समाचार पढ़े:
1. स्त्री को ही सुन्दर दिखना क्यों आवश्यक है?
और इसी समाचार पत्र के दूसरे पृष्ठ पर
2. स्त्रियों को अधिक सुन्दर दिखने में सहायक Applications...!
अब मुझे तो समझ में नहीं आया कि ये समाचार पत्र नारीवादी है या नारी स्वतंत्रता का हनन करने वाला..! यदि आप समझ गए हों तो बताइएगा....-
नारीवाद (Feminism)
नारीवाद का मतलब पुरुषो की तरह सामान्य अधिकार नही होता है।
मेरे हिसाब से नारीवाद का मतलब ये होता है कि, अगर किसी भी वर्ग में कही पर महिलाये पिछे छूट गयी है तो उनको सामान्य अधिकार दिलाना नारीवाद होता है।
उदाहरण:
१. जब रूस में औरतो को मत का अधिकार नही था उसके लिए औरतो ने लड़ा और अपना अधिकार हांसिल किया।
२. राजनीति में महिलाओं आगे बढ़ाना नारीवाद हो सकता है।
३. दफ्तर में या घर में या कही पर भी उनको वित्तीय (financial) मामलो में बढ़ावा देना नारीवाद है।
४. महिलाओ को चार दीवारों से बाहर निकालकर दुनिया से रूबरू करना नारीवाद है।
५. महिलाओ को आत्मरक्षा सिखाना, आजादी देना, हर तरह से शशक्त बनाना, पढ़ाना-लिखाना नारीवाद होता है।
नारीवाद क्या नही है:
आज के संदर्भ में अगर नारीवाद का मतलब पुरुषो की तरह खड़े होकर पी #ब करना है तो ये तो नारीवाद नही मूर्खता और एक महामारी है।
धन्यवाद 🙏🏼-