हादसा सबके के लिए एक सा नही होता
किसी के लिए खुशनसीबी तो किसी के लिए मौत बन गई।
जैसा चाहा वैसा रिश्ता बनाया लोगो ने हादसों से।
किसी के लिए एल्बम में नई तस्वीर बनी
तो किसी के लिए वो आखिरी तस्वीर बन गई।
~छवि✍️-
शिक्षिका हूँ सिखाती हूँ और सीखती भी हूँ पर... read more
मौत से भी ये जहाँ छूटेगा कहाँ,
राख बनकर ही सही पर मै यहाँ रह ही जाऊँगा।
तुम मेरी राख से अपने आँगन के गमले भर लेना,
ऐसे बनकर ही सही पर तेरे काम तो आऊँगा।
~छवि✍️
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शिक्षा और जात
उन्होंने कहा "शिक्षा से सब कुछ बदला जा सकता है।"
उन्होंने अंबेडकर को पढ़ा और पढ़ाया।
उन्होंने गांधी को भी पढ़ा और पढ़ाया।
उन्होंने ज्योतिबा, सवित्रि को पढ़ा और पेरियार को भी पढ़ाया।
उन्होंने भगत सिंह की शहादत पर गर्व किया और मंडेला के संघर्ष को भी समझाया।
पर !
"वह तीस साल का अनुभवी विश्वविद्यालय प्राचार्य है पर वह अपने बेटे के लिए लड़की अपनी ही जात में ढूंढ रहा है"
"वह 27 साल का सरकारी नोकरी वाला युवक है। पर
वह कहता है मैं अपनी ही जात वाली से शादी करूँगा"
"उसकी बहन विज्ञान की शिक्षिका है उसने प्रेम विवाह किया है पर अपने ही जात के लड़के से"
कुछ बदला?
~छवि ✍️
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ओ स्त्री!
लिंग भेद से आगे बढ़ना
स्त्री से पहले इंसान बनना|
अनंत संभावनाए है तुममे
तुम श्रृंगार से पहले संघर्ष को चुनना|
ओ स्त्री ! पहले इंसान बनना|
तुम्हारी पहचान योनि नही
न ही तुम्हारी छाती है|
दुनिया के लिये होगी यही पहचान तुम्हारी
पर तुम उस पहचान से बचना|
ओ स्त्री! स्त्री से पहले इंसान बनना|
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आत्मनिर्भर औरत जब उसे पसंद करने वाले पुरुष से पूछती है के मुझमे तुम्हे क्या अच्छा लगता है?
तब वह यह नही पूछ रही होती के उसकी आँखे कैसी है। उसके बाल कैसे है उसके होंठ कैसे है। वह चलती कैसी है वह उठती कैसे वह देखती कैसे है वह यौन संबंध में उसके साथ कैसे रहती है।
आत्म निर्भर औरत हमेशा यह जवाब चाहती है के वह पुरुष उसके जीवन संघर्ष को पसंद करता है वह उसकी बुद्धिमत्ता को पसंद करता है वह परेशानियो से जिस तरीके से लड़ती है वह उसे पसंद करता है वह उसके निडरता को पसंद करता है वह झूठ के समक्ष न झुकने की हिम्मत को पसंद करता है ।वह किसी पुरुष पर अपनी चीज़ों के लिए निर्भर नही है वह उसे पसंद करता है।
ऐसे पुरुष उस स्त्री का सम्मान और प्रेंम होते है।
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मेरे खुद से खुद के सवाल
मेरे भीतर अब खूब शोर मचाते है
जवाब किससे मांगू
ये अंदर ही अंदर मुझे खाते है।
सवाल ये के
जीवन लंबा क्यों है?
सवाल ये के
के मेरा जीवन क्यों है?
सवाल ये के
और कब तक समय है मेरे पास ?
सवाल ये के
इतनी देर क्यों कर दी ?
सवाल ये के
यह सब जल्दी निपट क्यों नही जाता?
सवाल ये के
के मैं किसके लिए यहाँ हूँ?
सवाल ये के
पल पल इतना संघर्ष सा क्यों है?
सवाल ये के
जब मृत्यु कुछ नही ले जाने देगा
तो जीवन की इतनी चिंता क्यों?
और न जाने ऐसे सैकड़ो सवाल
जो जीवन में बवाल कर देते है।
पर जीवन तो जीने के लिए है
चाहे सवालो के घेरे में हो
या जवाबो की शून्यता में।
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जीवन में आते रहते हुए पहाड़ी मोड़
मुझे हमेशा चौकाते रहते है
बस महसूस ही हुआ होता है के अब सीधा रास्ता है तभी ही एक और घुमावदार रास्ता फिर से आता है
मेरा जी मिचलाने का कारण बन जाता है।
पर फिर भी एक उम्मीद दिलो दिमाग में रहती है
के जल्द ही अंत में मैं वह सूंदर साफ़ झरना
वह सूंदर वादियाँ वह विशाल पर्वत देखूँगी।
बस यही उम्मीदें मुझे
इस सफर को ज़ारी रखने को कहती है।
छवि✍️
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जब आप किसी मान्यताओं को मानने से पहले सवाल करने लग जाए भेड़ चाल चलना छोड़ दे सच बात बोलना शुरू कर दे तो आपके रिश्ते और पहचान वाले कम और बहुत कम होने लगते है।
झूठी मान्यता और ढोंग करने से यदि तुम्हारे रिश्ते बचे रहते हो तो भाड़ में जाये ऐसे रिश्ते और पहचान वाले। 100 ऊपरी मीठे झूठे रिश्तों से अच्छा है एक कड़वा और सच्चा रिश्ता होना ।
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कुछ लोग आपकी मदद या बीमारी में आपका साथ केवल इसलिये देते है क्योंकि उन्हें पुण्य प्राप्ति होगी।
हम यह कह सकते है के इस अवस्था में भी कही न कही उसका स्वार्थ है इसलिए वह आपकी सेवा कर रहा होता है।-
ईश्वर जैसी सत्ता को पूजने के केवल दो ही कारण है
पाने की इच्छा
और
खोने का डर।-