नाक्षरं मंत्ररहीतं नमलनौषधिम ।
अयोग्य परुष नास्तत योजकततत्रदलभ: ॥
There is no letter that cannot be used as a mantra; there is no root without some medicinal value; and there is no person who is absolutely useless, but those who recognize them and make proper use of them are rare.-
धर्मसंस्थापनार्थाय सम्भवामि युगे युगे ||
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यदा यदा ही धर्मस्य ग्लानिर्भवति भारत I
अभ्युत्थानमधर्मस्य तदात्मानम सृज्याहम II
वह जन्म कब और किसलिये होता है सो कहते हैं हे भारत वर्णाश्रम आदि जिसके लक्षण हैं एवं प्राणियोंकी उन्नति और परम कल्याणका जो साधन है उस धर्मकी जबजब हानि होती है और अधर्मका अभ्युत्थान अर्थात् उन्नति होती है तबतब ही मैं मायासे अपने स्वरूपको रचता हूँ।
परित्राणाय साधूनां विनाशाय च दुष्कृताम I
धर्म संस्थापनार्थाय संभवामि युगे युगे II
वह मेरा मायामय जन्म और साधुरक्षण आदि कर्म दिव्य हैं अर्थात् अलौकिक हैं यानी केवल ईश्वरशक्तिसे ही होनेवाले हैं। इस प्रकार जो तत्त्वसे यथार्थ जानता है। हे अर्जुन वह इस शरीरको छोड़कर पुनर्जन्म अर्थात् पुनः उत्पत्तिको प्राप्त नहीं होता ( बल्कि ) मेरे पास आ जाता है अर्थात् मुक्त हो जाता है।
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मनोजवं मारुततुल्यवेगं जितेन्द्रियं बुद्धिमतां वरिष्ठं।
वातात्मजं वानरयूथमुख्यं श्रीरामदूतं शरणं प्रपद्ये॥
अर्थ: हे मनोहर, वायुवेग से चलने वाले, इन्द्रियों को वश में करने वाले, बुद्धिमानो में सर्वश्रेष्ठ। हे वायु पुत्र, हे वानर सेनापति, श्री रामदूत हम सभी आपके शरणागत है॥-
नौमी तिथि मधु मास पुनीता। सुकल पच्छ अभिजित हरिप्रीता॥
मध्यदिवस अति सीत न घामा। पावन काल लोक बिश्रामा॥
पवित्र चैत्र का महीना था, नवमी तिथि थी। शुक्ल पक्ष और भगवान का प्रिय अभिजित मुहूर्त था। दोपहर का समय था। न बहुत सर्दी थी, न धूप (गरमी) थी। वह पवित्र समय सब लोकों को शांति देनेवाला था।
जय श्री राम 🚩-
Original Song:
रघुपतिराघवराजाराम,पतितपावनसीताराम
सुन्दरविग्रहमेघश्याम,गंगातुलसीशालग्राम
भद्रगिरीश्वरासीताराम,भगतजनप्रियसीताराम
जानकीरमणसीताराम,जयजयराघवसीताराम
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दुनिया जिसे कहते हैं जादू का खिलौना है।
जो मिल गया वो मिट्टी है जो ना मिला वो सोना है।
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कट्टरता
अगर इस धरती पर कोई सबसे जायदा कट्टर समुदाय है तो वो जीवित हिंदू / सनातनी लोग ही है। लाखो आक्रांताओं और दुराचराइयो ने हमारे पूर्वजों पर अनेकों यातनाएं और सितम ढाए फिर भी वो अपने धर्म से कभी नहीं डगमगाए और जो लोग डगमगा गए वो आज लुल्ली कटवा के पंचर साट रहे और कुछ लोग तो चंद रुपयों की लालच में हलिलुया करते फिर रहे है।
अगर अपने धर्म की रक्षा, अभिमान और उसपे गर्व करना कट्टरता है तो मुझे गर्व है इस कट्टरता पर और अपने वीर हिंदू पूर्वजों पर।
जय श्री राम 🚩-
विद्यां ददाति विनयं, विनयाद् याति पात्रताम् ।
पात्रत्वात् धनमाप्नोति, धनात् धर्मं ततः सुखम् ॥
विद्या विनय देती है, विनय से पात्रता आती है,
पात्रता से धन आता है, धन से धर्म होता है, और धर्म से सुख प्राप्त होता है।-
एक इंसान की लाखो अच्छाईयां क्यों न हो पर उसकी एक बुराई पूरे दुनिया को नजर आने लगती है।
जैसे सर के लाखो काले बालों के बीच पहला सफेद बाल सबको नज़र आता है।
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