त्रिलोक चंद   (त्रिलोक चंद)
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लिखना सीख रहा हूं...
Joined 29 September 2018


लिखना सीख रहा हूं...
Joined 29 September 2018

एक ठिड रुक्याँ कियाँ सरसी।
भूल पुराणी गलतयाँ न
आग बढ्यां ई काम सरसी।

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आजकाल रो प्रेम टेडो है..!

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और बढ़ ज्यावै,
जद कड़क हो,
मौसम ठंडो हो,
अर चाय पाबाळी
साग हो।

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चाय रा रसिया ई जाण,
जो पसंद ना कर बे के जाण।

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स्वयं पर भरोसा कर आप असफलता के डर को पीछे छोड़ सकते हैं।
🙌

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कोई न पण समझा न सकूं।

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जो फिर मिलने की आस हो।

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जीवन,
मन,
तू जीवन का पर्याय है।
तेरे बिना सूना
आंगन,
गलियारा,
तू घर का पर्याय है।

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यदि सम्बन्धों में रोष हो तो चलेगा, क्योंकि ये सम्बन्ध जीवित होने का प्रतीक है लेकिन चुप्पी हो तो ये सम्बन्ध की मृत्यु की ओर इंगित करने वाली बात है।

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जेठ का मीना म
लाग भट्टी सो,
जो बरसे मेह
आसमान सूं,
तो औय बायरो
लाग काळजा न
ठंडक देबाळो सो।

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