त्रिलोक चंद   (त्रिलोक चंद)
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लिखना सीख रहा हूं...
Joined 29 September 2018


लिखना सीख रहा हूं...
Joined 29 September 2018

अर खुद की शक्ति ने जाण,
तू ही थारो जाम्बवन्त,
अर तू ही थारो हनुमाण,
नहीं आव कोई भी थार साग
खुद ही कर लंका पर प्रयाण।

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हम ठहरे हुए हैं,
तुम आओ या ना आओ
हम आस लगाए हैं।

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जो पल पल बदल्या जाय,
इंद्रधनुष भी शरमा ज्यावै
पण जमानो कोनी शर्माय।

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शामें ढलती जा रही हैं,
बस तुम्हारी यादों के सहारे
जिंदगी कटती जा रही है।
तुम गए जिंदगी से ऐसे कि
जिंदगी बदरंग सी हो गई
और रंगों की तलाश में हमारी
शामें ढलती जा रही हैं।

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मतदाता सूची का पुनरीक्षण का तीर एकदम सही जगह लगा है, ऐसा लगता है इसीलिए पूरा विपक्ष तिलमिला और छटपटा रहा है..!

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सफलता का रहस्य
उद्देश्य/लक्ष्य के प्रति
निरंतरता है।

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संसद में चर्चा के लिए वास्तव में तैयारी की आवश्यकता होती है और विपक्ष इसके बिना ही आ जाता है..!

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Don't Be Afraid To Start All Over Again, You May Like Your New Story Better.

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❛❛क्या पता कब,
कहाँ और क्या
अंतिम हो!
JUST DO WHAT
MAKES YOU
HAPPY❜❜

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कोई न कह सको,
इस्या मन आळो,
मन की बात समझबाळो,
एक भायळो जरूर ई
पक्काई बणावज्यो।

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