ननिहाल कि एक बात मुझे हमेशा से सबसे अच्छी लगती है...
ननिहाल मे लोगों से आप का परिचय आपके माँ के नाम के साथ कराते है-
बच्चों को गर्मी की छुट्टियों में नाना नानी के घर को कोई हील स्टेशन समझ कर नहीं ले जाना चाहिए।
-
ननिहाल की यादें ❤️
एक रचना मेरे ननिहाल के नाम
पुरी रचना पढ़े👇 अनुशीर्षक मे-
बाल ,यौवन और जवानी से
परे भी एक उम्र नूरानी है
दादा दादी और नाना नानी की भी
अपनी ही एक दिलचस्प कहानी है
पोता पोती और नातन नाती की फरमाइशों
में ठहर जाती जिनकी जिंदगानी है
ऐसी अनमोल धरोहर ही
हमारे पुरखों की निशानी है
अनुभवों की छत्रछाया में संभलती जिनके
बालपन और युवा पीढ़ी की नादानी है
ऐसी अनमोल सीखों से भरी हमारे
दादा दादी और नाना नानी की जिंदगानी है
दुआओं की नीव और
संस्कारों की निशानी है
हां ऐसी अद्वितीय हमारे
बुजुर्गों की कहानी है
✍️✍️-
""""शिवरात्रि---- एक पत्र खुला यादों का"""
मेरा जन्म आगरा में ही हुया और बचपन भी नाना की जिद स्वरूप नाना के घर ही गुजरा है मेरा और मेरी बहन का ,मेरे नाना सरकारी नौकरी करने क साथ साथ अत्यंत गहन "भक़्त" और "पुजारी" भी थे नौकरी से बचा समय सुबह शाम का मन्दिर और लोगो की सेवा में ही गुजार देते थे रात का हम सबको कहानी सुनाने में
*(मैं मेरी बहन मेरी मौसी के बच्चे और घर में पूर्णभाव से रह रहे किरायेदार के भी बच्चे जिनको उस जमाने मे दूर का नही कह सकते थे)
आगरा में "जलमा" नामक "research centre "संस्था है जहाँ संसार के सभी कुष्ठ रोगियों का इलाजव देखभाल होती है
वहाँ एक "शिव मंदिर "भी है उस शिव मंदिर में ही जाकर जीवन की कई शिवरात्रि मनाई है शिवरात्रि वाले दिन सुबह ही नाना संग मंदिर पहूँच जाते थे हम जहाँ पूजा ,भजन ,प्रसाद और रोगियों की सेवा ये सब नाना संग करीब से देखा करते थे हर दिन एक मेला सा था वो जीवन आस पास बहुत भीड़ थी और किसी को space की जरुरत नही थी
समय के चक्रव्यूह में जो यादे याद करने पर भी मुझको धुंधली दिखाई पड़ती थी
वो आज सह्सा मेरे दिमाग मे दिल मे उतर आयी
नाना नानी मंदिर सब गायब है पर सब है जहन
यही तो होती है यादों की खूबसूरती है ना??
जो नही है आस पास वो भी है सब आस पास ना??
-
सफ़र ख़ुशनुमा था।बेटे ने भी परेशान नही किया।नानी के घर आने की खुशी मुझ से ज्यादा उसे थी।हाइपर एक्साइटमेन्ट में ज़्यादा बोलना उसकी आदत है।चूंकि मेरा टिकट कन्फर्म उसी दिन हुआ तो लोअर बर्थ अलॉट थी।2 मिनट बैठने के बाद शुरू हुआ काजू का कहर।ममा मुझे अपर में जाना।उन अंकल को हटाओ,मैं उन्हें उठा के फेंक दूंगा।ट्रेन से नीचे धक्का दे दूंगा।
इतना सबक सांस में।मैं असहज हुई,थोड़ी नाराज भी।समझाने को हुई तो सज्जन ऊपर से बोले बेटा आपको ऊपर लेटना है?आ जाओ पर मुझे ट्रेन से नही फेंकना।
माहौल को हँसीमय होते देर न लगी।अब काजू सब पर अपना आधिपत्य जमाने तैयार थे।कुछ महीनों से दादू-दादी के साथ रहते-रहते इन्हें ना सुन ने की आदत खत्म हो गई है।नाना-नानी हो या दादा-दादी इनका सारा प्यार बच्चे को बिगाड़ने के लिए ही होता है।अरे रहने दो,सीख लेगा।अभी से बना दो इंजीनियर लड़के को।ऐसे ही कुछ डायलॉग से बेटा मुझे तुच्छ समझने लगता है।सुनता ही नही।जानता है जो चाहता है उसे मिल जाएगा फिर वो चाहे आइस क्रीम के बाद पानी ही क्यों न हो।अरे पीने दो,प्यासा है लड़का दवाई खिला लेंगे खांसी हुई तो।
सोचा था यंहा आ जाऊंगी सुधार लूँगी पर जब आते ही बेटे ने पानी मे छलांग लगाई और मेरी डांट पर मुझे डाँटा गया तो समझ गई।सिर्फ जगह बदली है।किरदार वही हैं बस नाम बदल दीजिये। 😂😂😂😂😂-
दुनिया में कहीं भी जाओ
तुमसे पिता का नाम पहले पुछा जाता है
परंतु इस दुनिया में एक जगह ऐसी भी है
जहां हमें हमारे माँ के नाम से जाना जाता है
और वो जगह है नाना-नानी का घर-
उस शाम आयु को लगा कि इस गुलज़ार ज़िन्दगी का अस्त निकट है,
तभी हृदय से आवाज़ आयी , महफ़िल का आगाज़ तो शाम को ही होता है ना?-
अनुभव की बात मत करो साहब,,
दादा-दादी की कहानियां मैं आज तक उनसे ग्रहण कर रहा हूँ।।
-
श्राद्ध में रखे सात पकवान भी उन्हें फिर खुश न कर पाएंगे, न उन्हें स्वीकार होंगे,
यदि आपने उन्हें जीवित रहते भी कोई खुशी का पल और दाना न दिया हो।
💐🙏🏻
-