नसीहतों से कह दो अभी मैं मग़रूर हूँ
हालांकि सच ये है कि बहुत मजबूर हूँ
दिल का शहर, मरहम समझता है हमें
चोट खाये आशिक़ों में, ऐसे मशहूर हूँ
अब तो मेरे घर का पता ही मयखाना है
और दुनिया समझती है मैं नशे में चूर हूँ-
सबसे बड़ी वसीयत तो पिता है,
अगर पिता ही न हो तो,
ये वसीयत भी बेफजूल हैं!! 😭😔-
तेरे आस पास गिद्ध देख रहा हूं नोच खायेंगे।
मेरे जैसे नहीं मिलेंगे जो तेरी इज्ज़त बचाएंगे।-
ज़िन्दगी भर इन्सान धोखाधड़ी से कमाया
फ़िर भी नहीं कोई उधार नहीं कोई बकाया
बड़े हक़ से माँग लिए पैसे जब ज़रूरत हुई
मरते मर गये पर हमनें ये कर्ज़ नहीं चुकाया
कितने मिले और हमपर भरोसा भी किया
ज़रूरत पर हमनें चोरी का हाथ उन्हें थमाया
ख़ुद भी गुनाह किये और दूसरों को भी कहा
पापों का घड़ा भरा तो गंगा में स्नान करवाया
भगवान तो पत्थर के हैं मान ही जायेंगे सोचा
पत्थर दिल बनकर तब कितनों को मार गिराया
किसी भी काम में शाॅर्ट कट अच्छा नहीं लोगों
जल्दी में किये काम में सबने नुक्सान ही उठाया
मोह-माया में पड़कर "आरिफ़" भूला अपनी नेकी
रिश्ते - नाते भूलकर हमनें कितनों को है रुलाया
कुछ लोग तब भी जागे "कोरा काग़ज़" लेकर भागे
कलम को दोषी बतलाकर उनका अरमान जलाया-
ज़िंदगी शतरंज सी है, तुम अपना दांव रखो
मात हर कदम पे है, ज़रा संभल के पांव रखो
ये नसीहत बूढ़े होते हर उस शज़र को है मेरी
ऊंचा होने से बेहतर है, शाखों में अपनी छांव रखो-
इस झूठ फरेब की दुनियाँ में,
मुझे भरपूर मिले संस्कार।
माँ की ममता क्या खूब मिली,
मुझे मिला पिता का प्यार।
अब उम्मीदों की शरण मिली है,
मुझे अटूट मिला विश्वास।
किस्मत ऐसे खेल खेल गयी,
मुझे नसीहत दे गई हजार।-
पिता : बेटा, कब तक मेहनत करोगे?
बेटा : जब तक जीत ना जाऊं।
देखते है अब में हारता हूं या ऊपरवाला।
पिता : बेटा तब तक मेहनत करो जब तक उसका जीतना
तुम्हारा हारना न हो और तुम्हारा जीतना ही
उसका जीतना हो।
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जिंदगी के पथिक का,
यह कारवां बेमिसाल है...
नसीहतें हैं सभी के पास,
सभी के कुछ सवाल हैं...-
तू जो मुझे बात बात पे नसीहत देता है
खुद को मेरा अहबाब समझता है क्या..
तू कहता है तू दुनिया को रौशन करता है
तू खुद को आफताब समझता है क्या..-
हकीकत छुपाती है मुझसे नसीहत देकर,
उसकी झूठ को सच मान लेता हूं उसकी मासूमियत देखकर।
मैं गिरा हूं कितना मालूम हुआ मुझे,
उसकी नजरों मैं हूं गिरा देखकर।
मैं तबाह हो ही गया था लगभग ,
फिर संभला वो कौन है मेरी ये सोचकर।
लोग जानते हैं उसके और मेरे बारे में मगर,
हैरत में पड़ गए लोग ये सब मेरे साथ होता देखकर।
मैं भी बेबस आखिरकार दुआ दे दी,
जा खुश रह तू मुझसे जुदा होकर।।-