ठोकर खाकर गिर जाते
तो कोई उठा भी लेता,,,,
हम तो उनकी नजरों में गिरे हैं
अब उनके सिवा उठाई कोन,,,,-
जिसपे मै खुद से ज्यादा नाज़ किया करता था
झूठ बोलने की उसकी आदत ने खुद को नजरो से गिरा दिया-
अब हम उनको कभी भी नजर भर कर
नही देखते हैं क्योंकि अब मेरी नजरों को
कई लोग नजर भर के देखने लगे है ..!!!!-
सबकी नज़रों में अच्छा होना भी ठीक नहीं !
कुछ की नज़रों में खटकना भी ज़रूरी है !!-
पहले तो प्यार देते हैं बाद को इतराते हैं !
नज़रों से उतरने वाले जाने कहांँ जाते हैं !!-
गिरकर उठ जाया करते हैं कुछ लोग लगने वाली ठोकरों से,
वे लोग कभी नहीं उठते जो गिर जाते है किसी की नजरों से।-
नजरों से गिरे हुए
लोग हमसे दोबारा
बात करने का अवसर
खो देते है,कोशिश
करना,की तुम
ना गिरना ।-
जब खुद ही, स्वयंम के ही नजरो में उतर जाते हैं,
तब तो;
किसी दूसरों के और नजर उठा के देखने में,
सवाल ही कहा आता है |
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अगर कोई है जो तुमको तुम्हारी नजरो में गिरा सकता है तो वो तुम्हारी "" बेपनाह मोहब्बत है "" किसी से ...!!
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