ख़्वाब मुझको रोज़ उसके आ रहे हैं
दिलरुबा को बस वही तो भा रहे हैं
रोज़ मिलना चाहती है दिलरुबा भी
इसलिए तो दिल की गलियाँ जा रहे हैं
नासमझ है दर्द-ए-दिल को भूल बैठी
उसकी ख़ातिर ज़ख़्म दिल पर खा रहे हैं
ज़िन्दगी अब बस उसी की रहना चाहे
गीत उसकी चाहतों के गा रहे हैं
काश 'आरिफ़' तू समझता हुस्न उसका
होंठ उसके ही गजब क्यों ढा रहे हैं?-
आज ना जाने कहा है मेरी दिलरुबा
आंखॆ तरस रही और हूँ उसके ख्यालो मे डूबा
दिल नहीं लगता उसके बिन अब
मर ना जाऊ आ जाओ मेरी महबूबा-
उलझा हूँ तेरे ख्यालों में,
बस इतनी सी बात है |
अकेला नहीं हूँ मैं ए_दिलरुबा,
तेरा साया जो मेरे साथ है ||-
गुल खिला ही नहीं
गुलाब कैसे कहलाएगा
दिल मिला ही नहीं
दिलरुबा कैसे कहलाएगा
जब एक तरफा हो इश्क
इश्क मुकम्मल कैसे हो पाएगा-
कोई तो इन्तहा होगी मेरे प्यार की खुदा,
कब तक देगा तू इस कदर हमें सजा,
निकाल ले तू इस जिस्म से जान मेरी,
या मिला दे मुझ को मेरी दिलरुबा...-
" तुम्हें लिखने को जब भी कलम उठाती हूं
बस तुम्हारी आंखों पे थम जाती हूं!"
दरिया से तो बच भी जाएं
पर समुंदर से ख़ुद को कैसे बचाएं!-
ख़्वाब गया तुम भी गई.,
हां थोड़ी सी उदासी हैं.,
मेरी दिलरुबा फिर भी जिंदगी Happy सी .!
रात गई बात भी गई.,
हां थोड़ा सा ग़म हैं.,
मेरी दिलरुबा फिर भी जिंदगी Osm हैं .!
चांद गया रोशनी भी गई.,
हां थोड़ी सी नमी हैं.,
मेरी दिलरुबा फिर भी जिंदगी Happy सी .!
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Looked at him here.
दिल ये कहता मेरा डूब जाऊं यहां,
फिर मिलेगा वफ़ा का ये दरिया कहां।
इश्क़ की छांव में, प्यार की राह पर,
Read my caption's-
नोकरी हज़ार के बढूए
जवानी बा करोड़ के..!
घरे आजा ए हो करेजऊ
काम काज छोड़ के..!!
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