जैसे जैसे उम्र बढ़ती जा रही है देश भक्ति
का दरिया उफान पर है और दर्शन भाव
का सागर हिलोरें मार ने लगा है,किन्तु
दिल में श्रृंगार रस की सरिता सूखती
सी जा रही है।-
"मैं" का भाव दीमक की तरह होता है
जो शनै-शनै मिट्टी में तब्दील करता है
कर्म द्वारा श्रेष्ठ भाव जगाओ...
मैं ही श्रेष्ठ हूँ ये भाव न लाओ...
तुम मानव हो इसलिए अलग हो
या यूँ कहो विचित्र हो....
(शेष अनुशीर्षक में )⤵-
जो दिखता
वो तो सब लिखता
ये उद्भव विचारों का
मात्र क्षणिक छाया
जो मानव जीने को
एक एक पर्चा रचता
वो पर्चा से सीखता कहां
उसका तो पूजा करता
क्या हैं परे उस पार
ना तनक कोशिश करता
जो दिखता
वो तो सब लिखता-
ग़र कुछ बनना है तो,
बनो उस व्यक्ति की तरह,
जिसकी लेखनी की नोंक में,
अनगिनत समंदर लहराता है..
अनगिनत रेगिस्तान फहराता है...
असंख्य ग्लेशियर जमता और पिघलता रहता है..
जिसका खुद का ब्रह्मांड होता है,
जो खुद में ही सम्पूर्ण ईश्वर को महसूस करता है..
और अपनी दुनिया खुद बनाता -मिटाता रहता है.
-mkm
-
किसी "तवायफ" से प्यार हो गया है मुझे,
लोग शायद "जिंदगी" कहते हैं उसे।-
गिरने दें मुझे, कमबख्त चलना जो सिखना है मुझे,
लड़खड़ानें दें थोड़ा, हाथ थामना भी सिखना है मुझे।
सवालो में घिरने दें, जवाबों को ढूंढना है मुझे,
दुःख दें, सुख दें, सहना सिखना है मुझे।
रोना भी है,औय हसना भी है मुझे,
जनाब, यूं कहे,
"जिंदगी" का हर मज़ा लेना है मुझे....
-
किसी के बारे में सकारात्मक विचार लाना
हर लम्हे,हर पल हर बार लाना
ही शायद आधुनिक प्रेम की कसौटी है।-
शिक्षा एवम् संस्कार से संस्कृति का गौरव बढ़ाने वाले,
विलक्षण प्रतिभावान धनी, डॉ सर्वपल्ली राधाकृष्णन।-
हर कोई "गैरजरूरी जरूरत" से परेशान हैं ।
इसे समझो तो जहाँन,ना समझो तो बेजान हैं ।।-