Siddhartha Kasana   (KohEnoor)
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Joined 5 January 2020


Joined 5 January 2020
9 OCT 2020 AT 23:52

किताब हमारे साँसो की यूँ बिखर गई
जिंदगी हमारी बस कुछ यूँ गुजर गई

गला घोंटकर मारा था हर इक ख्वाब
बेवा हुई जो चाहते तो सारी मर गई

शर्त लगा बैठी थी मौत से खुशियाँ पे
खुशियाँ मिलीं नहीं और शर्त हार गई

चार दिन की मेहमान रही इस जहाँ में वो
और फिर दुल्हन ब्याह के अपने घर गई

इक रोज तलाशता"कोहिनूर"दिल की धड़कन
रूह यहीं तो रहती थी तो फिर अब किधर गई

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15 SEP 2020 AT 10:16

होगी ग़र कलाम की कद्र,
तो शाह-ए-मसनद भी झुकेगा ।
रोके से कौन रूका हैं जो,
अपना होंगा खुद-ब-खुद रूकेगा ।।

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13 SEP 2020 AT 22:56

आज फिर दिल ने गुहार दी
बुखार ने तबियत सुधार दी

हमसे पूछों ये हयात-ए-शब
तुमने तो वो सोके गुजार दी

दिल खिंचा चला जा रहा है
ये किसने उस ओर पुकार दी

जितनी लम्बी समझते हो इसे
उतनी जिंदगी हमनें गुजार दी

तुम फरेबी ही अच्छे लगते थे
वो फरेबी नकाबे क्यों उतार दी

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13 SEP 2020 AT 13:09

हमसे पूछों हयात-ए-शब
तुमने तो सोके गुजार दी

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10 SEP 2020 AT 15:53

खिलाफत करे हम भी कोई खिलाफ हो तो
अदालत में हम भी जाएँ, गर इंसाफ हो तो

खुदा घर की चौखट पर सजदा हम भी करे
ग़र, मौलवी के दाग-ए-गुनाह साफ हो तो

दुश्मनी के दर्द-ए-सर का शौक हमें नहीं
कुचल कर रख देते हैं ग़र कोई हरीफ़ हो तो

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8 SEP 2020 AT 18:34

दुआ है तुम पर ये,
क़यामत ना होगी।
मेरी जान,तुम बिन,
सलामत ना होगी।।
मैं बनके चिरागां,जलता रहूंगा
तुम्हारी राहों में,,
खिलाफत ना होगी।।

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3 SEP 2020 AT 16:29

इश्क इक गुनाह हैं, किसे पता था!
वो तो गुजर गये हैं, जिसे पता था!!

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3 SEP 2020 AT 15:20

हथियारों की जरूरत उन्हे होती है।
जिनके जिगर में खूँ नही ,और
जिस्म की रूह सोती हैं ।।
इन शायरो को ,तो,जनाब...
कलम ही बहोत होती हैं ।।

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2 SEP 2020 AT 16:17

मेरे हर राज से इस कद्र वाकिफ था वो
जैसे तो सिर्फ मेरा राज-दाँ-हरीफ़ था वो

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1 SEP 2020 AT 15:26

ये जो मशहूर करामत हैं,उनकी खुद की हैं
लोग कहते है कि ये करतूत महबूब की हैं

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