जैसे कोयले की दलाली में हाथ काला हो जाता है
वैसे ही प्रेम कविता लिखने पर प्रेम रंग लग ही जाता है-
खरीदार बने रहोगे जब तक,
दुनिया के बाजार में
चीजें वही बिकेंगी
जिनकी समाज को दरकार है,
क्रय विक्रय के सोच से निकल,
कुछ नया कर दिखलाओ
एक नन्हा सा दीप ही
कर सकता सकल विश्व रौशन-
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# 10-01-2021 # काव्य कुसुम # दलाली #
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अब वे श्मशान में भी दलाली खाये जा रहे हैं ।
दलाली खाकर होंठों पे लाली लाये जा रहे हैं ।
दाल में काला नहीं अब सारी दाल ही काली है-
दलाली देने वाले दलाल ही उन्हें भाये जा रहे हैं ।-
इस अद्भुत एवं अलौकिक सामाचार को सुनकर
तीनों लोकों में जबरदस्त हर्ष व्याप्त हुआ है।
समस्त नर-नारी, सुर-असुर, देवी-देवता, किन्नर, गन्धर्व व तुच्छ अंधभक्त अति प्रसन्न होकर नाच रहे हैं।
समस्त ब्रह्माण्ड में खुशी के गीत गाए जा रहे हैं।
दशों दिशाओं में दिव्य ज्योति प्रजलवित हुई है।
इसी प्रकार समस्त संसार के हितों के लिए
ऐसे अद्भुत समाचार देते रहें,
नोट- तीनों लोक आपके इस तुच्छ कार्य के लिए सदैव ऋणी रहेंगे। धन्यवाद!👏-
रग रग में बह रही, लहू बन कर जो मक्कारी...!
न जाने कब खत्म होगी, अपने ही नमक की दलाली...?-
इतिहास गवाह है ,,,,
जब जब पड़ी महँगाई की मार
खूब बढ़ा है खूब बढ़ेगा ....,,
बेमानी और भ्रष्टाचार ...!
छोटे मोटे ,गर .... परिवार
पालने को करे कोई नादानी
जेल पड़ेगी खानी ....!
क्या ???
जेल पड़ेगी खानी .....!
खा गये देश को अजगर मोटे
हज़ारों करोड़ की ... कि बेमानी
देश छोड़कर भाग जायेंगे ...
हर्षद महता निरव और ....माल्या जैसे
और पडेगी देश को मेरे जेब यूँही कटवानी.....!!!-
कोरोनावायरस की एंटी वायरल दवा रेमडेसीवीर के दाम देख लो फ्रेंड्स।
नोट- चंदे की रकम सीधे प्रधानमंत्री निजी कोष में जमा करें। धन्यवाद!🙏-
यदि प्रेम सच्चा हो तो एकतरफा नहीं रह जाता है,
इकरार न हो भले पर उस तरफ भी हो ही जाता है।-
# 20-08-2022 # जय श्रीकृष्ण # काव्य कुसुम #
# सत्ता की मलाई # प्रतिदिन प्रातःकाल 06 बजे #
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जन विरोधी नीतियों का विरोध करने वाले हाथ मलते रह गए।
पानी में रह कर कभी मगरमच्छ से बैर मत करना यह कह गए।
सत्ता की मलाई के लिए कोयले की कालिख में हाथ डालना ही होगा-
कोयले की दलाली में काले हाथ नहीं करने वाले पानी में बह गए।
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