रह रहकर खुद को दोहराना
भूलने वालों की ज़िन्दगी में
बेवजह दखलंदाजी करना-
न दे कोई खलल मैं नौहा में हूँ
हूँ दुनियाँ से बेखबर मैं नौहा में हूँ...😔-
लोगों का काम ही क्या है
तेरी जिन्दगी में दखलंदाजी करना
तेरे हमदर्द ही बन जाए सब, तब कुछ कहना..!-
कुछ इस तरह से मजबूत
रिश्ते भी टूट जाया करते हैं
कुछ वो हमारी मासूमियत का फायदा उठाते हैं
कुछ उनके हमदर्द अपनी दखलंदाजी से
बेवक़्त प्रेम का फर्ज निभा जाते हैं-
आज हर कोई अपने लिए सीमा चाहता है
उसमें अकेला ही रहना चाहता है
दखल अंदाजी किसी की उममें नहीं चाहता है-
मुझें छोड़ दों मेरे ही हाल पर
मैं जैसा भी हूँ ठीक हूँ
और कोई क्यों करें दखलंदाजी
मेरी ज़िंदगी में
यें मेरी ज़िंदगी हैं इसें मैं हीं सवारूँगा
-
अपनी शर्तों पर जो
जिंदगी जिया करते हैं
उनसे कभी छोटी सी भी
गलती हो जाए तब
वो लोग बातें बनाने लगते हैं
जो अपनी जिंदगी से ज्यादा
दूसरों की जिंदगी में
दखलंदाजी किया करते हैं-
तुम्हारी हमारे जीवन में बदलाव लायी।
कुछ हद्द तक थी ज़रुरी
मुकम्मल ना हुई युही।
समझदार ना बने तुम
शक की बिमारी से थे ग्रस्त।
अपने हद्द को तो समझते
हमे तो अपना पक्ष रखने देते।
डोर टूट गई ना हुई पूरी
अधूरी कहानी हमारी रह गई।
दूरीयो से जब नाता हो गया हमारा
तुम रहे ना फिर हमारे लिए ज़रूरी।-