हे!दुखभंजन कृपा निधान
सुखकर्ता दुखहर्ता मेरे श्याम
तू ही नर नारायण भी तू
तू ही काल तो सृष्टि का आधार तू
तू ही ब्रह्मा विष्णु तू है
महाकाल भी तू
तू ही कलम दवात
सागर का तल भी तू
जग विदित वेदों का सार भी तू
तू ही किशोरी जी का श्याम
मेरा संसार भी तू
ये जीवन एक आग का दरिया
पवित्र प्रेम की मूरत
मुक्ति मोक्ष का नाम भी तू-
एक तरफा मोहब्बत की खुशनुमा शाम
अनजानी सी आहट तिरछी निग़ाहों के जाम
देख कर उनको खिड़की की ओट से
हाल ऐ दिल अपनी मोहब्बत का
ख़्वाबों में उन्हें सुना देता हूं
खुद ही खुद पे इतरा कर
एक ख्वाब गले लगा लेता हूं
उन्हें तो ख़बर भी नहीं
मैं उन्हें हर खबर बना बैठा हूँ-
लिपट कर तुमसे धड़कन को सुनना चाहती हूं
ख्वाबों से हकीकत में उतरना चाहती हूं
बेस्वाद सी जिंदगी में
धुन बंसी की हो
तेरा ही नाम पुकारना चाहती हूं-
तकलीफ की असलियत क्या है
बस इतनी सी....
जब जुबान में खामोशी की लत लग जाये
कोई समझने वाला हो या न हो
और हम किसी को समझा नहीं पाएं-
दुनियां का सबसे मुश्किल काम
कुछ इस तरह से करने लगा हूं मैं
उल्फत ऐ लतीफे उन्हें सुना कर
गम से सराबोर होने लगा हूं मैं-
तुम हो मेरी लगन
मैं हूं तुझमें मगन
बंसी भले ही मेरी सही
तुम्हीं हो मेरी सुरीली धुन
चाहत तो थी तुम मेरा हाथ थाम लो
लेकिन क्या है न...
मेरा हाथ हो तुम
मेरा अस्तित्व हो तुम
जरूरी तो नहीं हर पल साथ हो तुम
मेरे लिये पल पल का एहसास हो तुम-
टेडी मेड़ी राहें जिंदगी की
अनगिनत शिकायतें
सुलझाने का वक़्त नहीं
और गुरूर बेहिसाब
जनाब....
ये भी बड़ा लाजवाब किरदार है
दिलों के कागज़ पे
दूरियों को लिखवाने का-
जहाँ की खूबसूरती है अहमियत देना हैसियत को
और एक हम हैं जो जज्बातों को गले लगाये फिरते हैं-
जिम्मेदारियों के पुलन्दे ने पीठ इतनी जख़्मी कर दी
कि मरहम लगाते लगाते जिंदगी की शाम हो गयी-