बरसन लागि बदरिया रूम झूम के
बादर गरजे, बिजुरिया चमके
बोलन लागि कोयलिया
घूम घूम के
बरसन लागि बदरिया रूम झूम के
रामदास के गोविंद स्वामी,
चरण कमल नित
चूम चूम के
बरसन लागि बदरिया रूम झूम के-
तानसेन से सुर साधक,
कहाँ रहे अब बीच हमारे?
"मेघ मल्हारी" की हठ छोड़ो, बरसो नाऽऽ
ओ बदरा प्यारे !-
सच्चा रसिक
अकबर के दरबार में किसी बड़े गवैए को गाने का न्योता मिला। शायद तानसेन थे। नवरत्न बनने के पहले। उन्होंने शर्त रख दी कि उन्हें सुनने केवल संगीत के रसिक ही आएं। बेवजह भीड़ न बढ़ाएं।
उनकी प्रस्तुति के बीच श्रोता किसी तरह की हलचल न करें । शांत बैठकर सुनें।
अकबर ने मंजूर कर लिया। अब संगीत के रसिक की पहचान कैसे हो? बीरबल को बुला भेजा कि कैसे पता लगाएं कि सच्चा रसिक कौन है। बीरबल ने सलाह दी कि घोषणा करवा दीजिए कि गायन के दौरान वाहवाही में जिसने सर हिलाया उसका सर कलम।
अकबर ने यही किया। आधे से ज्यादा श्रोता तो सर जुदा होने के डर से नहीं आए। कुछ बड़े ओहदे वालों और दरबारियों ने कसम खा ली कि चाहे जो हो जाए सर नही हिलाएंगे।
नियत समय पर तानसेन ने गाना शुरू किया। धीरे धीरे ऐसा समां बंधा कि लोग भूल गए कि बादशाह ने मुनादी कर रखी है कि सर हिला और हुआ जुदा। फिर भी कुछ श्रोता सर नहीं हिलाने में कामयाब रहे। बाकी मौत का खौफ़ भूल कर संगीत के रस में डूबे। तानसेन को सच्चे श्रोता मिल गए। जिन लोगों ने सर नहीं हिलाया उन्हें आगे के कार्यक्रमों में नहीं बुलाया गया।-
कहते है कि तानसेन के गाने से
धुँवाधार बारिश होती थी।
कोई तो इन आशिक़ों से मिलो
इनके रोने से नदिया बहती है।-
आज च्या या जगातही
एक तानसेन हवा होता
त्याच्या त्या संगीताने
आज पाऊस पाडला असता
नसता पडला दुष्काळ
न बळिराजा दुखावला असता
नसता झाला संप असा
न स्वताचा अंत केला असता
ना पाण्यासाठी वण वण तीची
ना तिचा अभ्यास बुडाला असता
फक्त आजच्या या जगात ही
एक तानसेन हवा होता-
बरसन लागि बदरिया रूम झूम के
आवन लागि तोरि याद पिया रोम रोम से
महकन लागि हवा सोंधी सोंधी सी
बोलन लागि हमरी गीत पिया तोसे
बरसन लागि बदरिया रूम झूम के
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तानसेन समारोह का 98वां वर्ष
16 दिसंबर से हो जाएगी शुरुआत
17 दिसंबर को दूसरी सभा दतिया
22 दिसंबर को एक सभा मुरैना जिले
18 दिसंबर से 23 दिसंबर के बीच हजीरा स्थित संगीत सम्राट तानसेन की समाधि ग्वालियर
ग्वालियर से निकलकर विश्व स्तर के संगीत प्रेमियों, कला साधकों, शास्त्रीय संगीत के पुरोधाओं को रास आने वाला यह तानसेन समारोह अपना 98वां वर्ष मनाएगा।-